1.

(a) एक निर्वात नली के तापित कैथोड से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की उस चाल का आकलन कीजिए जिससे वे उत्सर्जक की तुलना में `500V` के विभवांतर पर रखे गए एनोड से टकराते हैं। इलेक्ट्रॉनों के लघु प्रारंभिक चालों की उपेक्षा कर दें। इलेक्ट्रॉन क आपेक्षिक आवेश अर्थात `e//m1.76xx10^(-11)Ckg^9-1)` है। (b) संग्राहक विभव `10MV` के लिए इलेक्ट्रॉन की चाल ज्ञात करने के लिए उसी सूत्र का प्रयोग करें जो (a) में मान लाया गया है। क्या आप इस सूत्र को गलत पाते है? इस सूत्र को किस प्रकार सुधारा जा सकता है?

Answer» Correct Answer - (a) `eV=(mv^(2)//2)` का उपयोग कीजिए अर्थात `v=[(2eV//m)]^(1//2);v=1.33xx10^(7)ms^(-1)`
यदि हम `V=10^(7)V` के लिए उसी सूत्र का प्रयेग करें तो `v=1.88xx10^(9)ms^(-1)` आता है। यह स्पष्ट रूप से गलत है क्योंकि कोई भी द्रव्य कण प्रकाश के वेग `(c=3xx10^(8)ms^(-1))` से अधिक वेग से नही चल सकता। वस्तुतः गतिज ऊर्जा के लिए उपरोक्त सूत्र `(mv^(2)//2)` केवल `(v//c)lt lt 1`के लिए वैध है। बहुत अधिक चाल पर जब `(v//c)` के लगभग तुल्य (यद्यपि हमेशा 1 से कम) होता है तो आपेक्षिकीय प्रभाव क्षेत्र के कारण निम्नलिखित सूत्र वैध होते है।
आपेक्षिकीय संवेग `p=mv`
कुल ऊर्जा `E=mc^(2)`
गतिज ऊर्जा `K=mc^(2)-m_(o)c^(2)`
जहां आपेक्षिकीय द्रव्यमान `m` निम्नानुसार दिया जाता है।
`m=m_(0)(1-(v^(2))/(c^(2)))^(-1//2)`
`m_(o)` कण का विराम द्रव्यमान कहलाता है। इन संबंधों से प्राप्त होता है:
`E=(p^(2)c^(2)+m_(0)^(2)c^(4))^(1//2)`
ध्यान दीजिए कि आपेक्षिकीय प्रभाव क्षेत्र में जब `v//c` लगभग 1 के बराबर होता है तो कुल ऊर्जा `Egem_(o)c^(2)` (विराम द्रव्यमान ऊर्जा) । इलेक्ट्रॉन की विराम द्रव्यमान ऊर्जा लगभग `0.51MeV` होती है । इसलिए `10MeV` की गतिज ऊर्जा, जो इलेक्ट्रॉन की विराम द्रव्यमान ऊर्जा से बहुत अधिक है आपेक्षिकीय प्रभाव क्षेत्र को व्यक्त करती है। आपेक्षिकीय सूत्रों के प्रयोग से `v`(`10MeV` गतिज ऊर्जा के लिए)`=0.999c`


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