InterviewSolution
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आइंस्टीन के प्रकाश विद्युत समीकरण को प्रति - पादित कीजिए । |
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Answer» आइंस्टीन के अनुसार, जब `hv` ऊर्जा के कोई फोटॉन किसी धातु के सतह पर आपतित होते हैं, तो यह ऊर्जा दो प्रकार से व्यय होती हैं - (i ) ऊर्जा का एक भाग धातु की सतह से इलेक्ट्रॉन को हटाने में व्यय होता है, जिसे धातु का कार्य फलन `(phi)` कहते हैं। (ii ) ऊर्जा का शेष भाग उत्सर्जित इल्केट्रॉन को गतिज ऊर्जा प्रदान करने में व्यय होता है। माना कि गतिज ऊर्जा का अधिकतम मान `E_(k)` है । `therefore" "hv=phi+E_(k)` या `" "E_(k)=hv-phi` यदि उत्सर्जित इल्केट्रॉन का अधिकतम वेग `v_("max")` तथा द्रव्यमान m हो, तो `E_(k)=(1)/(2)mv_("max")^(2)" ...(2)"` समीकरण (1 ) और (2 ) से, `(1)/(2)mv_("max")^(2)=hv-phi" ...(3)"` यदि आपतित फोटॉन की ऊर्जा धातु के कार्यफलन के बराबर हो, तो धातु की सतह से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों का वेग `v_("max")` शून्य होगा तथा आपतित फोटॉन की आवृत्ति `v,` देहली आवृत्ति `v_(0)` के बराबर होगी । अतः समीकरण (3 ) से, `0=hv_(0)-phi` या `" "phi=hv_(0)` पुनः `phi` का मान समीकरण (3 ) में रखने पर, `(1)/(2)mv_("max")^(2)=hv-hv_(0)` या `(1)/(2)mv_("max")^(2)=h(v-v_(0))` यही आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत समीकरण है। आँख के रेटिना पर किसी फोटॉन का प्रभाव `(1)/(10)` सेकण्ड तक रहता है। यदि फोटॉन इसमें कम समय पर आकर रेटिना से टकराते हैं, तो प्रकाश संतत प्रतीत होगा। जब प्रकाश आँख के अंदर प्रवेश करता है, तो रेटिना पर प्रति सेकण्ड `10^(18)` फोटॉन आपतित होते हैं। फलस्वरूप प्रकाश संतत प्रतीत होता है, असंतत नहीं । |
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