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अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की समस्याएँ समझाइये ।

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विश्व के अलग-अलग देशों के मध्य होनेवाला व्यापार अर्थात् अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार । ऐसे व्यापार में अलग-अलग देशों के विविध तरह के नियंत्रण होते है । जिसे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की समस्याओं के रूप में जानते है ।

जो कि निम्नलिखित है :

  • चलन अथवा मुद्रा की समस्या : अलग-अलग देशों के अलग-अलग चलन होने से सौदो को हल करने में चलन की समस्या आती है । आयातकर्ता व निर्यातकर्ता के पास में विभिन्न विदेशी मुद्रा सम्बन्धी जानकारी न होने से समस्याएँ आती है ।
  • भाषा में विविधताएँ : विश्व के विभिन्न देशों की भाषाएँ भी अलग-अलग होने से भाषा सम्बन्धी समस्या आती है । जबकि अंग्रेजी भाषा के उपयोग करने से कुछ हद तक समस्या दूर करती है । फिर भी अभी भी पिछड़े देशों के साथ किये जानेवाले व्यापार में यह समस्या रहती है ।
  • दूरी की समस्या : अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार जब दो देशों के मध्य अन्तर (दूरी) अधिक होने से संदेशा व्यवहार तथा माल-सामान के हस्तांतरण करने में काफी अधिक समय लग जाता है ।
  • प्रतिबन्ध और अंकुश (नियंत्रण) : अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में विभिन्न देश अपनी राजकीय नीति तथा आर्थिक नीति के अनुसार अनेक प्रकार के नियंत्रण रखती है । अतः सरकार द्वारा कठोर नियंत्रण के कारण अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार रूक जाता है ।
  • जोखिम का प्रमाण : अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का अधिकांशतः भाग समुद्री मार्ग द्वारा होने से समुद्री मार्ग से माल को वातावरण से होनेवाला नुकसान, माल का समुद्र में डूब जाना, समुद्री लूटेरों द्वारा माल की लूट इत्यादि जोखिमे रहती है ।
  • कानून अथवा नियम में अन्तर : अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के अन्तर्गत अलग-अलग देशों के व्यापार सम्बन्धी नियम अलग-अलग होते है, जिससे इन नियमों को समझने में समस्याएँ आती है ।
  • व्यापारी सम्पर्क का अभाव : ऐसे व्यापार में व्यापारी सम्पर्क में कम होते है । तथा दो देशों के मध्य दूरी भी अधिक होती है, तब व्यापारी एकदूसरे से एकदम अनभिज्ञ होते है । आयातक और निर्यातक व्यापारी के मध्य परस्पर प्रत्यक्ष सम्पर्क न होने से भुगतान के बारे में समस्या रहती है ।
  • तोलमाप सम्बन्धी समस्या : अलग-अलग देशों की तोलमाप की व्यवस्था भी अलग-अलग होती है, जिससे तोलमाप की समस्याएँ भी देखने को मिलती है ।


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