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Apne pradhanadhyapak Ko ek Patra likhiye jismein chronicle mein apni padhai ke liye kiye Gaye prayas yah upay ki charcha ki gai Ho

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आज के आधुनिक युग में विचारों के आदान-प्रदान के अनेक साधन उपलब्ध हैं, परंतु पत्र लेखन का हमारे जीवन में आज भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। पत्रों को इसी आधार पर दो भेदों में बाँटा जा सकता है

औपचारिक पत्र

अनौपचारिक पत्र

1. औपचारिक पत्र – औपचारिक पत्र हम विभिन्न विभागों तथा अधिकारियों को आवेदन के लिए किसी समस्या के लिए, किसी सूचना के लिए अथवा किसी अन्य सार्वजनिक या व्यापारिक कारण से लिखते हैं। औपचारिक पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

प्रेषक का पता, दिनांक, अभिवादन, स्वनिर्देश हस्ताक्षर आदि बाई ओर से लिखें।

इसके बाद तिथि लिखी जाती है। संक्षेप में पत्र का विषय लिखा जाता है।

इसके बाद संबोधन आता है; जैसे- महोदय, मानवीय या मान्यवर आदि। औपचारिक पत्रों में प्रायः अभिवादन नहीं लिखा जाता है।

इसके पश्चात धन्यवाद लिखा जाता है।

प्रेषक का पता, दिनांक, अभिवादन, स्वनिर्देश हस्ताक्षर आदि बाई ओर से लिखें।

इसके बाद तिथि लिखी जाती है। संक्षेप में पत्र का विषय लिखा जाता है।

इसके बाद संबोधन आता है; जैसे- महोदय, मानवीय या मान्यवर आदि। औपचारिक पत्रों में प्रायः अभिवादन नहीं लिखा जाता है।

इसके पश्चात धन्यवाद लिखा जाता है।

2. अनौपचारिक पत्र – इस पत्र में व्यक्तिगत पत्र आते हैं। इस प्रकार के पत्र माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी, मित्र-सहेली तथा संबंधियों को लिखे जाते हैं।

अनौपचारिक पत्रों को लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

पत्र लिखने वाला अपना पता तथा तिथि बाई ओर लिखता है।

इसके नीचे अभिवादन लिखा जाता है; जैसे-नमस्ते, असीम स्नेह, सादर चरण स्पर्श आदि।

अंत में जिसे पत्र लिखा जा रहा है, उससे लिखने वाले का संबंध व नाम लिखा जाता है; जैसे-मित्र/सखी, आपका बेटा/ बेटी, आपका पोता/पोती आदि



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