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 ‘अप्राप्त माँग’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ।

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अप्राप्त माँग (Class-in-Arrears) : 

जब कंपनी के द्वारा शेयरधारकों के पास से शेयर आबंटन तथा माँग की रकम मँगवाई जाये और यदि कोई शेयरधारक यह रकम समयसर न चुका पाये, तब यह नहीं चुकाई गई राशि ‘मिलना बाकी हप्ता-अप्राप्त माँग’ के रूप में जानी जाती है । इस परिस्थिति में अप्राप्त माँग संबंधी हिसाबी असर दो तरह से दी जा सकती है –

(i) अप्राप्त माँग खाता उपस्थित किये बिना : इस पद्धति में कंपनी अप्राप्त माँग की खाता उपस्थित नहीं करती, परंतु जितनी राशि शेयरधारकों के पास से प्राप्त होती है उतनी ही राशि बैंक खाते उधार करके, संबंधित माँग खाते जमा की जाती है । और भविष्य ‘ में शेयर धारक के द्वारा बाकी मांग की रकम चुकायी जाती है तब बैंक खाता उधार करके संबंधित मांग खाते जमा की जाती है ।

(ii) अप्राप्त माँग खाता उपस्थित किया जाये तब : इस पद्धति में संबंधित माँग की राशि मँगवाई जाये तब जितनी रकम शेयरधारकों द्वारा चुकाई जाये उसे बैंक खाते उधार किया जाता है और जितनी रकम शेयरधारकों द्वारा नहीं चुकाई जाती उसे अप्राप्त मांग खाते उधार किया जाता है । भविष्य में जब शेयरधारकों द्वारा यह राशि दी जाती है तब बैंक खाता उधार करके अप्राप्त माँग खाता जमा किया जाता है, जिससे अप्राप्त माँग का खाता बंद हो जाता है ।

अप्राप्त माँग संबंधी ध्यान में रखने योग्य बातें :

  1. वार्षिक हिसाब बनाते समय अगर अप्राप्त मांग की रकम वसूल न हुई हो, तब अप्राप्त मांग की रकम मंगायी शेयरपूँजी में से घटाकर दर्शाया जाता है ।
  2. कंपनी द्वारा मांग की लेनी रकम की तारीख से वास्तव में भुगतान तारीख तक के समय तक आर्टिकल्स ओफ एशोसियेशन में बताये दर से ब्याज वसूल कर सकती है ।
  3. कंपनी कानून, 2013 के शेड्यूल I के टेबल F के अनुसार अप्राप्त मांग पर अधिक से अधिक वार्षिक 10% तक कंपनी द्वारा ब्याज वसूल किया जा सकता है ।


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