1.

औपनिवेशिक काल में भारत की जनांकिकीय स्थिति का एक संख्यात्मक चित्रण प्रस्तुत करें।

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ब्रिटिश भारत की जनसंख्या के विस्तृत ब्यौरे सबसे पहले 1881 की जनगणना के तहत एकत्रित किए गए। बाद में प्रत्येक दस वर्ष बाद जनगणना होती रही। वर्ष 1921 के पूर्व का भारत जनांकिकीय संक्रमण के प्रथम सौपाने पर था। द्वितीय सोपान को आरम्भ 1921 के बाद माना जाता है। कुल मिलाकर साक्षरता दर तो 16 प्रतिशत से भी कम ही थी। इसमें महिला साक्षरता दर नगण्य, केवल 7 प्रतिशत आँकी गई थी। शिशु मृत्यु दर 218 प्रति हजार थी। इस काल में औसत जीवन प्रत्याशा 32 वर्ष थी। देश की अधिकांश जनसंख्या अत्यधिक गरीब थी।



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