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औपनिवेशिक काल में भारतीय सैम्पत्ति के निष्कासन से आप क्या समझते हैं?

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ब्रिटिश शासकों ने नागरिक प्रशासन तथा सेना के लिए बड़ी संख्या में अंग्रेज अधिकारी भर्ती किए तथा उन्हें भारतीय सहयोगियों की अपेक्षा बहुत अधिक वेतन और भत्ते दिए गए। सभी उच्च पदों पर ब्रिटिश अधिकारी ही नियुक्त किए गएं। असीमित प्रशासनिक शक्ति के कारण वे रिश्वत के रूप में भारी धनराशि लेने लगे। सेवानिवृत्त होने पर उन्हें पेंशन भी मिलती थी। भारत में रह रहे अधिकारी अपनी बचतों, पेंशन व अन्य लाभों के एक बड़े भाग को इंग्लैण्ड भेज देते थे। इन्हें पारिवारिक प्रेषण कहा गया। यह प्रेषण भारतीय सम्पत्ति को इंग्लैण्ड को निष्कासन था। इसके अतिरिक्त स्टर्लिंग ऋणों पर भारी ब्याज देना पड़ता था। इन्हें गृह ज्ञातव्य (home charges) का भुगतान करना पड़ता था। भारत को ईस्ट इण्डिया कम्पनी के युद्धों का खर्च भी देना पड़ता था। इस प्रकार औपनिवेशिक काल में भारतीय सम्पत्ति का निष्कासन होता रहा।



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