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बाजार का वर्गीकरण : स्थान आधारित और जत्था (थोक) आधारित समझाइए ।

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अर्थशास्त्र में बाजार का वर्गीकरण अलग-अलग मापदण्डों के आधार पर किया जाता है । जिसमें स्थान आधारित बाजार, समय आधारित बाजार, वस्तु के स्वरूप पर आधारित बाजार, वस्तु के जत्थे पर आधारित बाजार, नियंत्रण पर आधारित बाजार, स्पर्धा आधारित बाजार द्वारा बाजार के विभिन्न प्रकार है ।

यहाँ स्थान आधारित और जत्था आधारित बाजार की चर्चा करेंगे :

(1) स्थान आधारित बाजार : स्थान आधारित बाजार को भौगोलिक विस्तार के आधार पर विभाजित किया गया है, जो निम्नानुसार है :

(i) स्थानिक बाज़ार : जिन चीज-वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन जिस स्थान पर होता हो वहीं उसकी बिक्री भी हो जाए ऐसे स्थान पर होनेवाले बाज़ार को स्थानीय बाज़ार कहते हैं । अधिकांशतः शीघ्र नष्ट होनेवाली वस्तुओं का बाज़ार स्थानीय होता है ।
जैसे : साग-सब्जी, दूध, माँस-मछली, अण्डा, गाँव के धोबी, नाई, कुम्हार, बढ़ई इत्यादि का बाज़ार ।

(ii) प्रादेशिक बाज़ार : जिन वस्तुओं के क्रेता एक प्रदेश या राज्यभर में फैलें हों उन वस्तुओं का बाज़ार अर्थात् वस्तु का उत्पादन जिस प्रान्त में होता हो और अधिकांश विक्रय उसी प्रांत में होता हो ऐसी वस्तुओं के बाज़ार को प्रादेशिक बाज़ार कहते हैं । जैसे : राजस्थान का लहंगा-चुन्नी, पंजाब में पघड़ी का बाज़ार, गुजरात के चणिया-चोली का बाज़ार, उत्तर प्रदेश की कुर्ता-धोबी का बाज़ार इत्यादि ।

(iii) राष्ट्रीय बाज़ार : जिस राष्ट्र में वस्तुओं का उत्पादन हो और उसी राष्ट्र में उसका विक्रय अधिकांशतः हो तो ऐसी वस्तुओं के बाज़ार को राष्ट्रीय बाज़ार कहते हैं । जैसे : भारत की साड़ियों का बाज़ार, भारतीय चूड़ियों का बाज़ार इत्यादि ।

(iv) अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार : जिस वस्तु का उत्पादन किसी एक राष्ट्र में होता है लेकिन उसका विक्रय विश्व के अन्य देशों में होता हो ऐसी वस्तुओं के बाज़ार को अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार कहते हैं । जैसे : ब्राज़िल की कॉफी का बाज़ार, हिन्दुस्तानी चाय, सोना-चांदी का बाज़ार इत्यादि ।
परंतु आज के आधुनिक संदेशा व्यवहार और यातायात की सुविधाओं के विकास के कारण बाज़ार को स्थान की दृष्टि से बाँध . पाना उचित नहीं है ।

(2) जत्था आधारित बाजार (विक्रय की दृष्टि से) : जत्था आधारित या विक्रय की दृष्टि से बाजार के मुख्य दो प्रकार हैं :

(i) जत्थाबंद (थोक) बाजार : थोक बाजार ऐसा बाजार है जिसमें बड़े पैमाने पर वस्तुओं का क्रय-विक्रय होता हैं । थोक बाजार में थोक व्यापारी उत्पादक के पास से बड़े पैमाने पर वस्तुओं की खरीदी करता है और उसे फुटकर बाजार में व्यापारियों को विक्रय करता है इस प्रकार थोक बाजार में फुटकर व्यापारी क्रेता बनते हैं । थोक व्यापारी उत्पादक एवं ग्राहक के बीच की कड़ी है, जैसे : गुजरात के ऊँझा शहर का जीरा गंज का बाजार, अहमदाबाद के कालुपुर का चोखा बाजार आदि ।

(ii) फुटकर बाजार : फुटकर बाजार में वस्तुओं का क्रय-विक्रय छोटे पैमाने पर या फुटकर होता है । इस प्रकार फुटकर बाजार के व्यापारी भी बाजार की अन्य एक महत्त्वपूर्ण कड़ी बनकर ग्राहकों तक वस्तुएँ पहुँचाते है । फुटकर व्यापारी थोक व्यापारी से वस्तुएँ खरीदकर ग्राहक तक पहुँचाता है । इस प्रकार फुटकर व्यापारी वस्तुओं का पुनः विक्रय करते हैं और ग्राहकों को उनकी आवश्यकता अनुसार वस्तुएँ
और सेवाएँ पहुँचाते हैं ।



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