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Answer» बौद्ध काल में शिक्षण की प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित थीं- ⦁ शिक्षक द्वारा शिक्षण विधि-प्रतिदिन शिक्षक द्वारा प्रातः 7 बजे से 11 बजे तक और फिर 2 बजे से सायं 5 या 6 बजे तक शिक्षा दी जाती थी। पहले पुराने पाठ का स्मरण कराया जाता था, तत्पश्चात् नया पाठ पढ़ाया जाता था। ⦁ प्रवचन या व्याख्यान विधि-शिक्षक अपनी इच्छानुसार विषय के ऊपर प्रवचन या व्याख्यान देता था। शिक्षक शुद्ध उच्चारण और कण्ठस्थलीकरण पर विशेष बल देता था। ⦁ वाद-विवाद विधि-शिक्षक सत्यों को प्रमाणित करने के लिए वाद-विवाद और शास्त्रार्थ विधि का प्रयोग करते थे। इस विधि में सिद्धान्त, हेतु, उदाहरण, साम्य, विरोध, प्रत्यक्ष, अनुमान तथा निष्कर्ष या आगम प्रमाणों का प्रयोग किया जाता था। ⦁ प्रश्नोत्तर विधि-शिक्षक छात्रों की शंकाओं का समाधान विषयों के स्पष्टीकरण और छात्रों में जिज्ञासा उत्पन्न करने के लिए प्रश्नोत्तर विधि का प्रयोग करते थे। ⦁ मॉनीटोरियल विधि-कक्षा के कुशाग्र बुद्धि छात्र द्वारा या उच्च कक्षा के छात्रों द्वारा निम्न कक्षा के छात्रों को पढ़ाने का प्रबन्ध किय्य जाता था। ⦁ पुस्तक अध्ययन विधि-सम्यक् ज्ञान पुस्तक में रहता था, अतएव पुस्तक अध्ययन की विधि अपनाई गई थी। ⦁ सम्मेलन विधि-पूर्णिमा और प्रतिपदा के दिन संघ के सभी छात्र एवं अध्यापक एक साथ मिलते थे और वहीं ज्ञान-धर्म की चर्चा होती थी। ⦁ निदिध्यासन विधि-धर्म एवं अध्यात्म के विषय के लिए यह विधि अपनाई जाती थी। इससे अन्तर्ज्ञान प्राप्त किया जाता था। ⦁ देशाटन, भ्रमण और निरीक्षण विधि—छात्र विभिन्न स्थानों में भ्रमण व देशाटन करके ज्ञान प्राप्त करते थे और प्रकृति की विभिन्न वस्तुओं का निरीक्षण करते थे। ⦁ व्यावसायिक व प्रयोगात्मक विधि-व्यावसायिक एवं औद्योगिक विषयों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए छात्र कुशल कारीगरों की देख-रेख में रहता था और दक्षता तथा प्रवीणता का अर्जन करता था। वह स्वयं काम करता था और अन्य लोगों के काम करने के तरीके का अवलोकन भी करता था।
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