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भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण एवं परिणाम पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।याकांग्रेस ने ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ क्यों प्रारम्भ किया ? इसकी असफलता के क्या कारण थे?याभारत छोड़ो आन्दोलन के तीन कारण लिखिए। ब्रिटिश सरकार की इस पर क्या प्रतिक्रिया थी ? क्या आपके मत में यह असफल रहा ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।याभारत छोड़ो आन्दोलन क्या था ? इसका क्या प्रभाव पड़ा ?याभारत छोड़ो आन्दोलन की असफलता के दो प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिएयाभारत छोड़ो आन्दोलन किसने चलाया ? इसके कोई दो कारण बताइए।या‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ के तीन प्रमुख बिन्दुओं को इंगित कीजिए।याभारत छोड़ो आन्दोलन का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करें।

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मार्च, 1942 ई० में सर स्टेफर्ड क्रिप्स कुछ प्रस्तावों के साथ भारत आये। प्रस्ताव के अनुसार, सुरक्षा के अतिरिक्त भारतीयों को भारत सरकार के सभी विभाग हस्तान्तरित करने की बात कही गयी थी। क्रिप्स का प्रस्ताव स्वीकार करो अथवा छोड़ दो।’ की भावना पर आधारित था। इसे भारतीयों ने स्वीकार नहीं किया। अन्ततः अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने 8 अगस्त, 1942 को ‘भारत छोड़ो’ वाला प्रसिद्ध प्रस्ताव स्वीकार कर लिया तथा आन्दोलन की बागडोर गांधी जी को सौंप दी। भारत छोड़ो आन्दोलन महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया था।

भारत छोड़ो आन्दोलन के कारण

भारत छोड़ो आन्दोलन को चलाने के निम्नलिखित कारण थे –

1. पहला कारण यह था कि जापान के आक्रमण का भय बढ़ रहा था। गांधी जी चाहते थे कि भारत को उस आक्रमण से बचाया जाए। यह तभी हो सकता था जब अंग्रेज लोग भारत को छोड़ देते।

2. दूसरा कारण यह था कि अंग्रेजों की हर जगह हार हो रही थी। उनके हाथों से सिंगापुर और बर्मा निकल 1गये। गांधी जी का यह विचार था कि यदि अंग्रेजों ने हिन्दुस्तान को न छोड़ा तो इस देश के लोगों की भी वही दुर्दशा होगी जो बर्मा और मलाया के लोगों की हुई थी। गांधी जी का विचार था कि यदि अंग्रेज लोग भारत छोड़ जाएँ तो जापान भारत पर आक्रमण नहीं करेगा।

3. आन्दोलन को आरम्भ करने का एक और कारण यह था कि हिटलर और उसके साथियों का प्रोपेगण्डा बढ़ रहा था और उसका प्रभाव भारतीयों पर भी पड़ रहा था। सुभाषचन्द्र बोस स्वयं बर्लिन से हिन्दुस्तानी भाषा में ब्रॉडकास्ट कर रहे थे। ऐसा महसूस किया गया कि भारत की रक्षा के लिए उत्साह पैदा किया जाए और ऐसा तभी हो सकता था जब देश में एक व्यापक आन्दोलन हो।

4. बर्मा (म्यांमार) छोड़ने के समय हिन्दुस्तान के लोगों से अच्छा व्यवहार नहीं किया गया। उनको भारत लौटते समय अनगिनत कष्ट सहने पड़े। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध बहुत रोष उत्पन्न हो गया। इस वातावरण ने भी गांधी जी को आन्दोलन चलाने के लिए विवश किया।

5. द्वितीय विश्वयुद्ध के दिनों में अंग्रेजों ने भारत में सब-कुछ जलाने की नीति को अपनाया। इस नीति से बहुत-से हिन्दुस्तानियों की हानि हुई। कई लोगों की जमीनें नष्ट हो गयीं और उनको पर्याप्त मुआवजा न दिया गया। कइयों की रोटी छिन गयी, चीजों की कीमतें बढ़ गयीं, देश में असन्तोष बढ़ गया। ऐसी स्थिति से लाभ उठाने के लिए गांधी जी ने अपना आन्दोलन आरम्भ किया।

भारत छोड़ो आन्दोलन के परिणाम / प्रभाव
अथवा
असफलता के कारण

भारत छोड़ो आन्दोलन के अग्रलिखित परिणाम/प्रभाव हुए –

1. आन्दोलन का तात्कालिक परिणाम यह था कि ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी सदस्यों को जेल भेज दिया। कांग्रेस संस्था को कानून के विरुद्ध घोषित कर दिया गया। उसके कार्यालय पर पुलिस ने कब्जा कर लिया। यह नीति सरकार ने कांग्रेस को कुचलने के लिए अपनायी।

2. साधारण जनता हाथ-पर-हाथ रखकर बैठी न रही, उसने भी सरकार के विरुद्ध विद्रोह आरम्भ कर दिया। गांधी जी के मन में यह विचार ही न था कि सरकार उन्हें अकस्मात् बन्दी बना लेगी। इसका परिणाम यह हुआ कि गांधी जी और कांग्रेस के अन्य नेताओं के गिरफ्तार होने के बाद आन्दोलन का पथ-प्रदर्शन करने के लिए कोई नेता न रहा। जैसा लोगों के मन में आया उन्होंने वैसा ही किया।

3. जब सरकार ने निर्दोष पुरुषों, स्त्रियों तथा बच्चों को गोली से उड़ा दिया, तब लोगों ने भी हिंसा की नीति अपनायी। जहाँ कहीं विदेशी मिले, उनको मार डाला गया। बहुत कठिनाइयों के बाद ब्रिटिश सरकार अपनी सत्ता को देश में फिर से स्थापित करने में सफल हुई।



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