 
                 
                InterviewSolution
| 1. | भारत का वन्यजीव-वैविध्य को विस्तारपूर्वक समझाइए। | 
| Answer» भारत की वैविध्यपूर्ण वन्य जीवसृष्टि: भारत के भूपृष्ठ में विशाल नदी मैदान, प्रायद्वीपीय पठार, पर्वतीय प्रदेश, दलदली क्षेत्र, समुद्र तट तथा सघन वनस्पतियों वाले सदाबहार वन, मौसमी (पतझरवाले) जंगल, हिमालय के उच्च पर्वतीय प्रदेश में आए हुए शंकुद्रुम वनों का वैविध्य वन्यजीवों के निवास के लिए विस्तृत पृष्ठभूमि बनाते हैं। दक्षिण के प्रायद्वीपीय वर्षा वाले वनों में एशियाई हाथी, ब्रह्मपुत्र नदी के दलदली क्षेत्र में एकसिंगी भारतीय गेंडा, हिमालय के ऊँचाईवाले क्षेत्र में हिम तेंदुआ, जम्मू-कश्मीर में जंगली बकरियाँ और कस्तूरी मृग, दक्षिण भारत के वनों में जंगली भैंसे (भारतीय बायसन) मध्य भारत तथा पश्चिम बंगाल में बाघ, कच्छ के छोटे रेगिस्तान में जंगली घुड़खर और बड़े रेगिस्तान के जलप्लावित क्षेत्र में सुरखाब दिखाई देते हैं। घास के मैदानी क्षेत्र में लुप्तप्राय पक्षी टोकदार (घोराड़) (ग्रेट इंडियन बस्टार्ड) की उपस्थिति अभी-पिछले वर्षों में पुनः दिखाई दी है। जलप्लावित क्षेत्रों में शीतऋतु में ठंडे प्रदेशों से अनेक जाति के यायावर पक्षी उतरते हैं, उनमें साइबेरियन क्रेन, तिब्बत्तीयन बतक, कुंज, करकरा आदि मुख्य हैं। पश्चिमी घाट के घने वनों में उड़ती गिलहरी पाई जाती है। निकोबारी कबूतर निकोबार में मिलनेवाले दुर्लभ पक्षी हैं। कच्छ की खाड़ी और लक्षद्वीप समूह में मूंगे की दुर्लभ प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं। स्तनधारियों और पक्षियों के साथ-साथ सरीसृपों को भी विभिन्न जातियाँ, जिनमें नाग, अजगर, गेहुवन, गोह भी उल्लेखनीय हैं। समुद्र किनारे तथा जल क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की मछलियाँ, समुद्री साँप, डॉल्फिन, शार्क, दरियाईगाय (डुगांग) आक्टोपस तथा वेल जैसी जीवसृष्टि की दुनिया है। जंगली इलाके के अलावा जहाँ खेती होती है ऐसे कृषि क्षेत्रों में गोचर और परती जमीन में सियार, भेड़िया, नीलगाय, हरिण, नेवला, खरगोश, जंगली सुअर, साही इत्यादि जैसे प्राणी हैं तथा इन्हीं इलाकों में विविध प्रकार के पक्षी, जिनमें कोयल, तोता, मोर, बया, उल्लू, पीलक, खूसट, चमगादड़, मैना, बगुला आदि विहार करते हुए देखे जा सकते हैं। | |