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भारत के केन्द्र-प्रशासित क्षेत्रों के नाम लिखिए तथा उनकी शासन व्यवस्था पर प्रकाश डालिए। यासंघ-शासित क्षेत्र से क्या तात्पर्य है? ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के प्रशासक की नियुक्ति कौन करता है?याकेन्द्रशासित क्षेत्रों के प्रशासनिक ढाँचे का वर्णन कीजिए।

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केन्द्र-प्रशासित क्षेत्र (संघ राज्य क्षेत्रों) का निर्धारण
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत में चार प्रकार के राज्यों की स्थापना की गई थी – (1) ‘क’ श्रेणी के राज्यों में पूर्व ब्रिटिश प्रान्तों को रखा गया, इस श्रेणी के राज्यों की संख्या 9 थी। (2) ‘ख’ श्रेणी के राज्यों में कुछ संघ तथा बड़ी-बड़ी देशी रियासतों को सम्मिलित किया गया, इनकी संख्या 8 थी। (3) ‘ग’ श्रेणी के राज्यों में कुछ छोटे प्रान्तों को सम्मिलित किया गया, इनकी संख्या 9 थी, तथा (4) ‘घ’ श्रेणी के राज्यों में अण्डमान तथा निकोबार द्वीपों को सम्मिलित किया गया। ‘क’ तथा ‘ख’ श्रेणी के राज्यों में पूर्ण उत्तरदायी शासन की स्थापना की गई परन्तु ‘ग’ श्रेणी के राज्यों में आंशिक उत्तरदायी शासन की स्थापना की गई तथा ‘घ’ श्रेणी के राज्यों में किसी उत्तरदायी शासन की स्थापना नहीं की गई वरन् उनका प्रशासन केन्द्र सरकार के अधीन रहा। इनको ही केन्द्र-प्रशासित क्षेत्रों की संज्ञा दी गई।
राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के अन्तर्गत ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ तथा ‘घ’ श्रेणी के राज्यों को समाप्त कर दिया गया तथा सभी राज्यों को मिलाकर 14 नए राज्यों के गठन के साथ-साथ 6 केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थापना की गई। राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों की संख्या कालान्तर में विभिन्न अधिनियमों के अनुसरण के साथ परिवर्तित होती गई।

वर्तमान स्थिति – भारत में वर्तमान समय में 29 राज्य तथा 7 संघीय क्षेत्र हैं। पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त न होने के बावजूद भी दिल्ली व पुदुचेरी में 70वें संविधान संशोधन के आधार पर यह व्यवस्था की गई है कि इनकी विधानसभाओं के सदस्यों को भी राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने का अधिकार होगा। उत्तराखण्ड, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ तथा तेलंगाना को भारतीय संघ में नए राज्यों के रूप में सम्मिलित किया गया है और भारत के कुल 29 राज्यों में ये भी शामिल हैं।
संघीय क्षेत्रों का प्रशासन
संघीय क्षेत्र (केन्द्र-प्रशासित क्षेत्र) की विधानसभा अपने सम्पूर्ण क्षेत्र या कुछ भाग के लिए। उन नियमों के बारे में कानून का निर्माण कर सकती है जो कि संविधान में दी गई सातवीं अनुसूची में राज्य सूची अथवा समवर्ती सूची में दिए गए हैं और यदि वे विषय इस क्षेत्र पर लागू होते हैं। यदि संघीय क्षेत्र की विधानसभा किसी ऐसे कानून का निर्माण कर देती है जो संसद के कानून के विरुद्ध है तो उस क्षेत्र की विधानसभा का कानून वहाँ तक अवैधानिक समझा जाएगा। जहाँ तक कि वह संसद के कानून के विरुद्ध है।
दिल्ली, पुदुचेरी तथा अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह का प्रशासन उपराज्यपाल के अधीन है। चण्डीगढ़, लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव का प्रशासन प्रशासक के अधीन है। उल्लेखनीय है कि संविधान संशोधन (55) के अन्तर्गत अरुणाचल प्रदेश तथा संविधान संशोधन (57) के अन्तर्गत गोआ को राज्य का स्तर प्राप्त हो गया है। गोआ के साथ जुड़े दमन एवं दीव पूर्व की भाँति केन्द्र-शासित क्षेत्र ही हैं। वहाँ प्रशासक प्रशासकीय कार्यों का संचालन करता है। प्रशासन की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है।

इस प्रकार केन्द्र-शासित क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार की शासन व्यवस्था है। दो केन्द्र-शासित क्षेत्रों (दिल्ली एवं पुदुचेरी) में संसदीय अधिनियम के अनुसार लोकप्रिय मन्त्रिपरिषद् व विधानसभाएँ स्थापित की गई हैं और शेष 5 संघ राज्यों को प्रबन्ध पूर्ण रूप से केन्द्र द्वारा किया जाता है। राष्ट्रपति को प्रत्येक संघीय क्षेत्र के लिए प्रशासक नियुक्त करने का अधिकार है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के प्रशासक की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। संविधान के द्वारा संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासकों को अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान की गई है। लेकिन वह अपनी इस शक्ति का प्रयोग राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही कर सकता है। यदि वह चाहे तो किसी राज्य से लगे केन्द्रीय क्षेत्र को उस राज्य के अन्तर्गत करने का अधिकार भी रखता है। संविधान ने राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया है कि वह अण्डमान व निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप, दमन व दीव के प्रशासन एवं व्यवस्था के लिए कोई नियम बना सकता है। इन नियमों को संसद द्वारा पारित अधिनियमों के समान ही मान्यता प्राप्त होगी। इसी प्रकार संसद को यह अधिकार प्राप्त है कि वह इन क्षेत्रों के लिए कोई अन्य व्यवस्था कर दे। राष्ट्रपति राज्य की कार्यपालिका शक्ति स्वयं भी धारण कर सकता है।

अनुच्छेद 241 के अन्तर्गत संसद विधि द्वारा किसी संघ प्रशासित क्षेत्र के लिए उच्च न्यायालय गठित कर सकती है या ऐसे किसी राज्य-क्षेत्र में किसी न्यायालय को इस संविधान में सभी या किन्हीं प्रयोजनों के लिए उच्च न्यायालय घोषित कर सकेगी। जब तक ऐसा विधान नहीं बनाया जाता तब तक ऐसे राज्य-क्षेत्रों के सम्बन्ध में विद्यमान उच्च न्यायालय अपनी अधिकारिता का प्रयोग करते रहेंगे। दिल्ली के लिए 1966 से पृथक् उच्च न्यायालय की व्यवस्था की गई है जबकि अन्य 6 केन्द्र शासित प्रदेश निकटवर्ती राज्यों के उच्च न्यायालयों के साथ सम्बद्ध किए गए हैं; जैसेचण्डीगढ़ (पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय), लक्षद्वीप (केरल उच्च न्यायालय), अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह (कलकत्ता उच्च न्यायालय), पुदुचेरी (मद्रास उच्च न्यायालय), दादरा और नगर हवेली (बम्बई उच्च न्यायालय), दमन और दीव (बम्बई उच्च न्यायालय)।



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