InterviewSolution
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भारत में दि-औद्योगीकरण के क्या परिणाम हुए? |
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Answer» भारत में वि-औद्योगीकरण (उद्योगों के पतन) के निम्नलिखित परिणाम हुए ⦁ उद्योगों में कार्यरत कर्मचारियों, शिल्पकारों व अन्य कारीगरों के समक्ष जीवन-यापन की समस्या आरम्भ हो गई। वैकल्पिक रोजगार के अभाव में कृषि ने उन्हें आश्रय दिया। फलतः कृषि पर आश्रित जनसंख्या का अनुपात बढ़ता गया। यह सन् 1861 में 55% से बढ़कर सन् 1911 तक 72% हो गया। ⦁ भारत की व्यापारिक स्थिति में व्यापक परिवर्तन हुए। 18वीं शताब्दी के अंत तक भारत अधिकांशत: तैयार वस्तुएँ बाहर भेजता था। इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप कच्चे माल की माँग बढ़ी जिसकी आपूर्ति भारत जैसे विशाल उपनिवेशों से ही हो सकती थी। दूसरी ओर इंग्लैण्ड के कारखानों में बनी वस्तुओं के लिए भारत में विशाल बाजार उपलब्ध था। अतः भारतीय उद्योगों के पतन के साथ-साथ इंग्लैण्ड में तैयार वस्तुएँ भारत में आने लगीं और इसके बदले यहाँ से कच्चे माल का निर्यात बढ़ता गया। ⦁ शिल्पकारों के कृषि के क्षेत्र में आने पर भूमि की माँग बढ़ गई। 19वीं शताब्दी के अकालों केकारण भी कारीगर ग्रामीण उद्योगों में अपनी जीविकोपार्जन करने में असमर्थ हो चले थे। अत: कृषि क्षेत्र में आने वाले बहुत कम व्यक्ति भूमि खरीदकर खेती करने की स्थिति में थे। फलस्वरूप कृषि क्षेत्र में ऐसे व्यक्तियों की संख्या बढ़ती गई जो भूमिहीन थे और केवल श्रम द्वारा ही जीविकोपार्जन करना चाहते थे। ⦁ शिल्पकारों की आर्थिक स्थिति खराब होती गई। |
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