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Answer» भारत में कृषि वित्त के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं 1. ग्रामीण, साहूकार व महाजन- ये प्रायः सम्पन्न किसान तथा भूमिपति होते हैं। ये कृषि के साथ-साथ लेन-देन का भी कार्य करते हैं। ये लोग कृषि के अतिरिक्त अन्य कार्यों के लिए भी पैसा उधार देते हैं। 2. देशी बैंकर- देशी बैंकर दो प्रकार के कार्य करते हैं-बैंकिंग कार्य तथा गैर-बैंकिंग कार्य। बैंकिंग कार्यों में निक्षेपों को स्वीकार करना, ऋण देना तथा हुण्डियों में व्यवसाय सम्मिलित होता है। ये , ऋणों पर-ऊँची ब्याज दर लेते हैं। 3. सरकार- कृषि-वित्त की आवश्यकताओं को देखते हुए सरकार ने अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन ऋण की व्यवस्था की है। ये ऋण ‘तकावी ऋण’ कहे जाते हैं। सरकार भू-सुधार ऋण अधिनियम, 1883 के अनतर्गत दीर्घकालीन ऋण तथा कृषक ऋण अधिनियम, 1884 के अधीन अल्पकालीन ऋण प्रदान करती है। दीर्घकालीन ऋण भूमि पर स्थायी सुधार के उद्देश्य से प्रदान किए जाते हैं, जबकि अल्पकालीन ऋण कृषि सम्बन्धी सामान्य आवश्यकताओं की पूर्ति अथवा अकाल, बाढ़ या अन्य किसी कारण से फसल नष्ट होने पर दिए जाते हैं। सरकार इन ऋणों पर बहुत कम ब्याज लेती है। परन्तु फिर भी ये ऋण अधिक प्रभावशाली तथा लोकप्रिय नहीं हैं। 4. सहकारी समिति- इन समितियों का उद्देश्य कृषि विकास के लिए कम ब्याज की दर पर पर्याप्त साख सुविधाएँ प्रदान करना है। ये समितियाँ अल्पकालीन तथा मध्यकालीन ऋणों के अतिरिक्त अनुत्पादक ऋण भी प्रदान करती हैं। ऋण प्रदान करने के अतिरिक्त इन समितियों का । उद्देश्य किसानों में बचत आन्दोलन को प्रोत्साहित करना एवं उनका मानसिक व नैतिक उत्थान करना भी है। 5. व्यापारिक बैंक- राष्ट्रीयकरण के बाद कृषि साख के क्षेत्र में व्यापारिक बैंकों का योगदान निरन्तर बढ़ा है। ये बैंक कृषि विस्तार के लिए अल्पकालीन एवं मध्यकालीन ऋण प्रदान करते हैं। 6. भारतीय स्टेट बैंक- स्टेट बैंक तथा उसके सहायक बैंक सहकारी संस्थाओं के माध्यम से कृषि क्षेत्र को उदारता के साथ साख प्रदान कर रहे हैं। कृषि साख के क्षेत्र में स्टेट बैंक निम्नलिखित प्रकार से योगदान करता है ⦁ प्रत्यक्ष उधार- फसल के बोने से लेकर काटने तक, सँवारने तथा सुरक्षित रखने और बिक्री करने आदि सभी कार्यों के लिए स्टेट बैंक धन की व्यवस्था करता है। इसके अतिरिक्त पशुपालन, डेयरी व्यवसाय, मुर्गी पालन तथा फलोत्पादन के लिए स्टेट बैंक परिवार ऋण प्रदान करता है। ⦁ परोक्ष उधार-रासायनिक खाद, बीज, जन्तुनाशक तत्त्व, पम्पिंग सैट तथा ट्रैक्टर के लिए भी स्टेट बैंक ऋण प्रदान करता है। 7. भूमि बन्धक अथवा भूमि विकास बैंक-ये बैंक भूमि की जमानत पर किसानों को दीर्घकालीन ऋण देते हैं। ये बैंक उत्पादक तथा अनुत्पादक दोनों प्रकार का ऋण प्रदान करते हैं। 8. भारतीय रिजर्व बैंक- यह बैंक किसानों को प्रत्यक्ष रूप से सात प्रदान न करके सहकारी बैंकों के माध्यम से साख प्रदान करता है। रिजर्व बैंक अल्पकालीन साख या तो पुनर्कटौती के रूप में अथवा अग्रिमों के रूप में प्रदान करता है। रिजर्व बैंक दीर्घकालीन ऋण भी प्रदान करता है। ये ऋण राज्य सरकारों को दिए जाते हैं, जिससे वे सहकारी साख संस्थाओं के शेयर क्रय कर सकें। इसके अतिरिक्त रिजर्व बैंक केन्द्रीय भूमि बन्धक बैंकों के ऋण-पत्र भी खरीद सकता है। 9. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक- ये बैंक ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे किसानों, सामान्य कारीगरों तथा भूमिहीन श्रमिकों की साख सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। ये कृषकों को उपकरण, यन्त्र और पशु खरीदने तथा गोबर गैस संयन्त्र लगाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं। 10. कृषि व ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय बैंक (NABARD)-12 जुलाई, 1982 ई० से कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय बैंक (NABARD) की स्थापना की गई, जो कृषि के लिए निम्नलिखित प्रकार से साख की व्यवस्था करेगा ⦁ यह 18 महीने तक की अवधि के लिए अल्पकालीन साख राज्य सहकारी बैंकों, प्रादेशिक ग्रामीण बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थाओं को प्रदान करेगा, ताकि उसका उपयोग कृषि कार्यों के विशिष्ट उत्पादन व बिक्री क्रियाओं के लिए किया जा सके। ⦁ 18 महीने से 7 वर्ष के लिए मध्यकालीन ऋण राज्य सहकारी बैंकों व प्रादेशिक ग्रामीण बैंकों को कृषि विकास व इनके द्वारा निर्धारित अन्य कार्यों के लिए दिए जाएँगे। ⦁ पुनर्वित के रूप में दीर्घकालीन ऋण भूमि विकास बैंकों, प्रादेशिक ग्रामीण बैंकों, अनुसूचित बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थाओं को कृषिगत व ग्रामीण विकास के लिए दिए जाएँगे। ⦁ यह राज्य सरकारों को 20 वर्ष तक के लिए ऋण दे सकेगी, ताकि वे प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से सहकारी साख समितियों की शेयर पूँजी में हिस्सा ले सकें। ⦁ यह केन्द्रीय सरकार की स्वीकृति पर किसी भी अन्य संस्था को दीर्घकालीन ऋण दे सकेगा, ताकि कृषि व ग्रामीण विकास को प्रोत्साहन दिया जा सके। इस बैंक को कृषि पुनर्वित्त एवं विकास निगम (ARDC) तथा राष्ट्रीय कृषि साख (दीर्घकालीन) कोष एवं राष्ट्रीय कृषि साख (स्थायीकरण) कोष के सभी कार्य हस्तान्तरित कर दिए गए हैं।
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