1.

भारतीय ग्रामीण जलापूर्ति पर एक टिप्पणी लिखिए। जलापूर्ति पर सरकार क्या कदम उठा रही है, उसका वर्णन कीजिए।

Answer»

व्यक्ति के जीवन के लिए सुरक्षित पेयजल एक अनिवार्य आवश्यकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति की जिम्मेदारी राज्यों की है और इस प्रयोजन के लिए पहली पंचवर्षीय योजना से ही राज्यों के बजट में निधियों का प्रावधान किया जाता रहा है। पेयजल आपूर्ति की गति में तेजी लाने, राज्यों तथा संघ शासित प्रदेशों को मदद पहुँचाने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1972-73 में त्वरित ग्रामीण जल-आपूर्ति योजना शुरू की थी। कार्य-निष्पादन में सुधार करने, चालू कार्यक्रमों की लागत में मितव्ययिता लाने तथा स्वच्छ पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण जल-आपूर्ति क्षेत्र में वैज्ञानिक तथा तकनीकी जानकारी पहुँचाने के उद्देश्य से पूरे कार्यक्रम को एक मिशन का रूप दिया गया। पेयजल तथा इससे सम्बन्धित जल व्यवस्था पर प्रौद्योगिकी मिशन 1986 ई० में शुरू किया गया। इसे राष्ट्रीय पेयजल मिशन भी कहा गया और यह भारत सरकार द्वारा चलाये जा रहे पाँच सामाजिक मिशन में से एक था। राष्ट्रीय पेयजल मिशन का नाम बदलकर 1991 ई० में इसे राजीव गांधी राष्ट्रीय पेयजल मिशन कर दिया गया।
यह महसूस किया गया था कि स्वच्छ पेयजल आपूर्ति के लक्ष्यों को तब तक प्राप्त नहीं किया जा सकता, जब तक जल की स्वच्छता सम्बन्धी पहलुओं तथा स्वच्छता से जुड़े मुद्दों पर एक साथ ध्यान न दिया जाए। ग्रामीण लोगों के जीवन-स्तर को सुधारने के समग्र लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए 1986 ई० में केन्द्र प्रायोजित ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम शुरू किया गया था।
ऐसी परिकल्पना की गयी कि त्वरित ग्रामीण जल-आपूर्ति कार्यक्रम तथा केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रमों को साथ-साथ चलाए जाने पर पानी से पैदा होने वाली बीमारियों तथा अस्वच्छता की स्थितियों के कारण रोग, रुग्णता तथा गिरते स्वास्थ्य के कुचक्र को तोड़ने में मदद मिलेगी।
त्वरित ग्रामीण जल-आपूर्ति कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य-क्षेत्र के न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के अधीनं राज्य सरकारों/संघ शासित प्रदेशों के प्रयासों में सहायता देकर ग्रामीण लोगों को स्वच्छ तथा पर्याप्त पेयजल सुविधाएँ प्रदान करना है। ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजले प्रदान करते समय सामान्यतया होने वाली विभिन्न समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के लिए 56 मिनी-मिशनों (प्रायोगिक परियोजनाओं) की पहचान की गयी थी। इन प्रायोगिक परियोजनाओं से उन मॉडलों, जो दुबारा काम में लाए जा सकते थे तथा चालू कार्यक्रमों में सम्मिलित करने योग्य थे, को विकसित करने में सहायता मिली।

ग्रामीण जल-आपूर्ति कार्यक्रम – प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। भारत सरकार ने ग्रामीण लोगों के वास्तविक रहन-सहन में सुधार लाने के लिए उनकी बुनियादी आवश्यकताएँ पूरी करने को उच्च प्राथमिकता प्रदान की है। इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर प्रधानमन्त्री द्वारा वर्ष 2000-01 में प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना शुरू की गयी। प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना में विशेष प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को चुनिन्दा बुनियादी न्यूनतम सेवाओं के लिए अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता देने की परिकल्पना है। प्रारम्भ में इसमें पाँच घटक थे, किन्तु वर्ष 2001-02 में इसमें एक नया घटक और जोड़ दिया गया।
इस प्रकार प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य, ग्रामीण आश्रय, ग्रामीण पेयजल, पोषाहार तथा ग्रामीण विद्युतीकरण प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना के छः घटक हैं। प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना निधियों को 10% ग्रामीण जल-आपूर्ति के लिए निर्धारित किया गया है। राज्य उनके विशेषाधिकार के अन्तर्गत रखी गयी प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना-निधियों के 30% में से अपनी प्राथमिकता के अनुसार और अधिक निधियाँ आवंटित करते हैं।
प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना (ग्रामीण पेयजल) के अन्तर्गत कुल निधियों का कम-से-कम 25% जल-संरक्षण, जल-संग्रहण, जलपुनर्भरण तथा पेयजल स्रोतों के स्थायित्व सम्बन्धी परियोजनाओं और योजनाओं के लिए प्रयोग किया जाता है। सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रमों और मरुभूमि विकास कार्यक्रमों के अन्तर्गत आने वाले क्षेत्रों पर जोर दिया जाता है। निधियों का शेष 75% राज्यों द्वारा जल-गुणवत्ता की समस्याओं का निदान करने तथा कवर न की गयी और अंशत: कवर की गयी आबादियों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना की कुल निधियों का लगभग 35% ग्रामीण पेयजल हेतु इस प्रावधान के साथ निर्धारित किया गया है कि राज्य अपने पास प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना के अन्तर्गत उपलब्ध गैर-आवंटित निधियों के शेष 25% में से अपनी प्राथमिकता के अनुसार और ज्यादा निधियाँ आवंटित कर सकते हैं।
ग्रामीण पेयजल आपूर्ति में प्राप्त उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं
⦁     सरकार के राष्ट्रीय एजेण्डा में 2004 ई० तक सभी आबादियों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गयी है तथा इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एक वृहत् कार्य-योजना तैयार की गयी है, जिसका कार्यान्वयन शुरू किया जा चुका है।
⦁    त्वरित ग्रामीण जल-आपूर्ति कार्यक्रम के अन्तर्गत बजट प्रावधान को बढ़ाकर चालू वर्ष में 2,010 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
⦁     देश में कुल ग्रामों में से 90% ग्रामों को पेयजल सुविधाएँ पूर्ण रूप से मुहैया करवा दी गयी हैं। तथा शेष 10% ग्रामों को पेयजल सुविधाएँ आंशिक रूप से उपलब्ध करवाई गयी हैं।
⦁    ग्राम-स्तर पर सतत मानव विकास पर और अधिक बल देने के लिए वर्ष 2000-01 में प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना शुरू की गयी थी, जिसके अन्तर्गत अन्य पाँच घटकों के साथ-साथ ग्रामीण पेयजल को प्राथमिकता दी जाती है। वर्ष 2001-02 में निर्धारित आवंटन राशि की तुलना में अधिक राशि जारी की गयी।
⦁     जल-गुणवत्ता की समस्याओं के बारे में एक दो-चरणीय राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण शुरू किया गया है।
⦁     ग्रामीण पेयजल क्षेत्र में माँग आधारित और सहभागिता-नीति के आधार पर एक नयी पहल शुरू की गयी है। 26 राज्यों के 63 जिलों में क्षेत्र सुधार प्रायोगिक परियोजनाएँ मंजूर की गयी हैं तथा उसके लिए राज्यों को राशि का आंशिक आवंटन भी किया जा चुका है।



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions