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Answer» भारतीय वनस्पति- ⦁ भारत में प्राकृतिक वनस्पति का आवरण साफ करके प्राप्त भूमि पर उद्योग तथा कृषि का विस्तार किया गया है। ⦁ भारत में लगभग 49,000 पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इस दृष्टि से भारत का संसार में 10 वाँ स्थान तथा एशिया में चौथा स्थान है। ⦁ 15,000 प्रजातियों के फूल वाले पौधे मिलते हैं। यह संसार का 6% है। ⦁ बिना फूल वाले पौधों में फर्न, शैवाल तथा फंजाई हैं। ⦁ उच्चावच, तापमान तथा वर्षा की विविधता के कारण यहाँ उष्ण कटिबंधीय सदाबहार (वर्षा) वनों से लेकर ध्रुवीय प्रदेश तक की वनस्पति पाई जाती है। ⦁ भारत के हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीपीय पठार पर देशज वनस्पति का विस्तार है जबकि 40% वनस्पति बाहर से लाकर लगाई गई है। जैव-विविधता संरक्षण- ⦁ वन्य-प्राणियों की सुरक्षा तथा संरक्षण के उपाय किए जा रहे हैं – ⦁ संकटापन्न बने जीवों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। ⦁ इनकी अब गणना की जाने लगी है। ⦁ बाघ परियोजना को सफलता मिल चुकी है। ⦁ असम में गैंडे के संरक्षण की एक विशेष योजना चलाई जा रही है। सिंहों की घटती संख्या चिंता का विषय बन गई है। अतः आरक्षित क्षेत्रों की संख्या और उनके क्षेत्रों के विस्तार पर बल दिया जा रहा है। ⦁ वन्य-प्राणियों से हमने बहुत कुछ सीखा है। सभी प्राणी श्रमशील हैं। उनमें प्यार, लगाव, आक्रमण, सुरक्षा, सामंजस्य, साहस, समझदारी, चतुराई, क्रीड़ा, उत्सव आदि सहज भाव से पाया जाता है, जिनको मनुष्य ने उनसे सीखा और अपनाया है। अतः वन्य-जीवों का संरक्षण बहुत की आवश्यक है। ⦁ जैव-विविधता प्रकृति की धरोहर है। यह प्राकृतिक धरोहर हमारी ही नहीं अपितु भावी पीढ़ियों की भी है। इस प्राकृतिक धरोहर को भावी पीढ़ियों तक ज्यों-का-त्यों पहुँचाना प्रत्येक नागरिक का धर्म और कर्तव्य है। ⦁ प्राकृतिक परिवर्तन तथा मनुष्य के हस्तक्षेप से अनेक जीव-जातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं और कई के निकट भविष्य में विलुप्त होने का भय बना हुआ है।
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