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भारतरत्न विश्वेश्वरय्या कहानी का सारांश लिखें।

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मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या जी का जन्म मैसूर राज्य के कोलार जिले के अन्तर्गत मुद्देनहल्ली नामक छोटे-से गाँव में हुआ था। इनके माता-पिता बहुत गरीब थे। उनमें पढ़ाने-लिखवाने की शक्ति नहीं थी। फिर भी विश्वेश्वरय्या के मन में पढ़ने की लगन थी। प्रारंभिक शिक्षा समाप्त कर, हाईस्कूल की पढ़ाई के लिए वे बेंगलूर पहुंचे। बेंगलूर का खर्चा चलाना मुश्किल था। अतः वे अपने एक मित्र के घर में ठहरे थे। सेंट्रल कॉलेज से बी.ए. उत्तीर्ण किया। इस कॉलेज के अंग्रेज प्रिंसिपल की सिफारिश से विश्वेश्वरय्या की पूना में इंजीनियरिंग की शिक्षा प्रारंभ हुई। छात्रवृत्ति भी मिली।

मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या जी का जन्म मैसूर राज्य के कोलार जिले के अन्तर्गत मुद्देनहल्ली नामक छोटे-से गाँव में हुआ था। इनके माता-पिता बहुत गरीब थे। उनमें पढ़ाने-लिखवाने की शक्ति नहीं थी। फिर भी विश्वेश्वरय्या के मन में पढ़ने की लगन थी। प्रारंभिक शिक्षा समाप्त कर, हाईस्कूल की पढ़ाई के लिए वे बेंगलूर पहुंचे। बेंगलूर का खर्चा चलाना मुश्किल था। अतः वे अपने एक मित्र के घर में ठहरे थे। सेंट्रल कॉलेज से बी.ए. उत्तीर्ण किया। इस कॉलेज के अंग्रेज प्रिंसिपल की सिफारिश से विश्वेश्वरय्या की पूना में इंजीनियरिंग की शिक्षा प्रारंभ हुई। छात्रवृत्ति भी मिली।

विश्वेश्वरय्या एक कर्मयोगी थे। समय के पाबंद तथा परिश्रमी थे। उनका मानना था कि भारतीय आलसी होने के कारण आज अन्य देश प्रगति कर रहे हैं। सेवाभाव को वे पवित्र मानते थे। उनका चरित्र आदर्शपूर्ण था। उनमें अहंकार नहीं था। वे सदा देश के विकास का सपना देखा करते थे | ऐसे कर्मयोगी का निधन 14 अप्रैल 1962 को बेंगलूर में हुआ |



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