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भगत की कथनी करनी में एकरूपता थी पाठ के आधार पर उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए...[ बाल गोविंद भगत कक्षा 10..]

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ANSWER:

बालगोबिन भगत संसार में रहकर भी साधु ही थे | वे कबीरपंथी थे और भगवान के निराकार रूप को मानते थे | वे निस्पृह वृत्ति के थे इसलिए अपने खेतों की पैदावार कबीर मठ में दे दिया करते थे और प्रसाद रुप से जो भी मिलता उससे अपना जीवन निर्वाह करते थे |

              वे सामाजिक प्रचलित मान्यताओं को नहीं मानते थे इसीे कारणवश वे अपनी पुत्र वधू के द्वारा अपने पुत्र की मृत्यु पर क्रिया कर्म संपन्न करवाते हैं। पुत्रवधू के पुनर्विवाह के लिए उसके भाई को बुलवाकर उसे उसके घर पर भेज देते हैं । वे केवल कथनी से ही नहीं अपितु करनी से भी वास्तविक भगत (संत) थे यही कारण था कि एकमात्र पुत्र की मृत्यु को भी वह रुदन द्वारा नहीं बल्कि उत्सव द्वारा मनाने का निर्णय लेते है ।



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