1.

भ्रष्टाचार को समाप्त करने के कानूनी प्रयास बताइए।

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भ्रष्टाचार का अर्थव्यवस्था और समाज पर विपरीत प्रभाव पड़ते है जो निम्नानुसार है:

  • समाज में भ्रष्टाचारी आचरण से नैतिक मूल्यों और सामाजिक नीति-नियमों का स्तर नीचे गिरता है ।
  • अर्थव्यवस्था में काले धन की समस्या उद्भव होती है, जो राष्ट्र के विकास में अवरोधक है । राज्य के कानूनों, न्याय प्रणाली, सत्ता और प्रशासन तंत्र पर से लोगों का विश्वास घटता है । ईमानदार व्यक्ति हताशा और निराशा में जीता है ।
    मानव अधिकारों का हनन होता है । जिससे समाज में अन्याय और आय की असमानता उद्भव होती है जिसके कारण वर्गसंघर्ष उत्पन्न होता है ।
  • भ्रष्टाचार से लोगों में नैतिकता और राष्ट्रीय चरित्र जोखिम में है और सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था का स्तर गिरता है ।

(1) भारत में 1964 में ‘केन्द्रीय लांच रिश्वत विरोधी ब्यूरो’ की स्थापना की है जो सरकारीतंत्र में विद्यमान भ्रष्टाचार की बदी को नेस्तनाबूद करने का प्रयास करता है । भ्रष्टाचारियों को रंगे हाथ पकड़कर उनके विरुद्ध कानूनी, दण्डात्मक कार्यवाही करता है । सार्वजनिक जनता

(2) भ्रष्टाचार संबंधी कोई शिकायत हो तो हेल्पलाईन टोल फ्री नंबर 1800 2334 4444 पर शिकायत कर सकते भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार ने ‘भ्रष्टाचार विरोधी नियम, 1988’ में बनाया, जिससे सार्वजनिक जीवन को शुद्ध करके सत्ता का दुरुपयोग अटकाया गया है ।

(3) सूचना का अधिकार 2005 और नागरिक अधिकारपत्र घोषित किया जिसके पीछे सरकारी कर्मचारी द्वारा प्रशासनिक कार्य निश्चित समय में पूरा करने का विश्वास दिलाकर अपने कार्यक्षेत्र और सत्ता के अधीन के कार्य में होनेवाला विलम्ब दूर करके पारदर्शक और जवाबदार प्रशासन तैयार करना है ।

(4) केन्द्र सरकार ने 2005 में ब्लेकमनी एक्ट बनाया, जिसमें भ्रष्टाचार को अपराधिक स्वरूप में घोषित किया गया । इसके उपरांत FEMA कानून में तथा मनी लेन्डरींग एक्ट में तथा कस्टम एक्ट की धारा-132 में सुधार किया । लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति करके कालाधन खोजने और भ्रष्टाचार को नष्ट करने के प्रयत्न किये । सरकारी अधिकारी द्वारा उच्च सत्ता का अनुचित उपयोग और भ्रष्टाचार की शिकायत के आधार पर विभागीय जाँच का कार्य ‘गुजरात तकेदारी सेवा आयोग’ गाँधीनगर कर रहा है ।



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