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| 1. | भूकम्प आपदा द्वारा कौन-कौन सी हानियाँ होती हैं?अथवाप्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव व उनसे बचने का उपाय लिखिए।अथवाहमारे समाज में भूकम्प का क्या प्रभाव पड़ता है? इससे बचने के उपायों को समझाइए।अथवाटिप्पणी कीजिए भूकम्प के प्रभाव तथा उससे बचने के उपाय। | 
| Answer» भूकम्प पृथ्वी की आन्तरिक शक्तियों के प्रभाव के कारण से पृथ्वी के किसी भी भाग में होने वाले धीमे या भयंकर कम्पन को भूकम्प कहते हैं। जब पृथ्वी की आन्तरिक परतों में हलचल होती है, तो इसका प्रभाव पृथ्वी की सतह पर खड़ी इमारतों, सड़कों, पुलों, बाँधों आदि पर होता है, जिससे प्रभावित मानवों का जीवन भी अस्त-व्यस्त हो जाता है। समाज में भूकम्प का प्रभाव भूकम्प उन प्राकृतिक आपदाओं में से एक है, जिन्होंने हमारे समाज को सबसे अधिक दुष्प्रभावित किया है। वास्तव में, भूकम्प अनेक प्रकार की तबाही का कारण बनता है। भूकम्प से पृथ्वी की बाह्य परत पर भी कम्पन होता है, जिससे प्रभावित क्षेत्र के मकान, सड़कें, टावर, पुल, वन-क्षेत्र इत्यादि को क्षति पहुँचती है। बाँध टूटने से नदियों में बाढ़ आ जाती है, जिससे आस-पास के क्षेत्र भी डूबने लगते हैं। इन सभी स्थितियों से जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। बहुत-से लोग काल का ग्रास बन जाते हैं, तो बहुत-से जीवनभर के लिए अवसादग्रस्त हो जाते हैं। बहुत-से परिवार बिखर जाते हैं, बच्चे अनाथ हो जाते हैं। इसका सम्पूर्ण सामाजिक जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। भूकम्प से बचाव के उपाय यद्यपि भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदा को टाला नहीं जा सकता है, किन्तु इसके प्रभावों को शीघ्रता से कम अवश्य ही किया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं। ⦁ भूकम्प की आशंका होने पर, इसकी चेतावनी जारी कर देनी चाहिए, ताकि प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को हटाया जा सके, इससे जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकेगी। ⦁ भूकम्प आने पर शीशे की खिड़की आदि नुकीली चीजों से दूर हट जाना चाहिए। ⦁ भूकम्प आते ही घरों से बाहर आकर किसी खुले भाग में चले जाना चाहिए। ⦁ खुला स्थान न मिलने पर मेज या पलंग के नीचे बैठ जाना चाहिए। ⦁ मकान की दीवारों या भारी सामान से दूर हट जाना चाहिए। ⦁ दरवाजों के पास खड़े होकर चौखट को पकड़ लेना चाहिए। ⦁ भूकम्प आने पर खुले स्थान पर भी बिजली के तारों इत्यादि से दूर हट जाना चाहिए। ⦁    भूकम्प से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में मकान लकड़ी के बनाए जाने चाहिए। | |