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भूमि का अर्थ समझाते हुए, उसके लक्षणों की चर्चा कीजिए ।

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1. भूमि (Land) :

Meaning & Definition of Land : साधारण बोलचाल की भाषा में भूमि का अर्थ भूमि की सतह से होता है । जिस पर खेती की जाती है, मकान बनाए जाते हैं, मार्ग बनाएँ जाते हैं । परन्त अर्थशास्त्र में “भूमि के अन्तर्गत वे सभी उपहार सम्मिलित किए जाते हैं जो मानव को प्रकृति की ओर से निःशुल्क प्राप्त होते हैं ।” जैसे : भूमि की सतह, जंगल, समुद्र, नदियाँ, वायु, प्रकाश वर्षा, कोयला, खनिज तेल, कच्चा लोहा, सोना, एवं सभी खनिज पदार्थ जो पृथ्वी के गर्भ से प्राप्त होते हैं । भूमि अर्थात् प्रकृति द्वारा प्रदान । की गई सभी प्राकृतिक संपत्ति ।

प्रो. अल्फ्रेड मार्शल के अनुसार According to Prof. Alfred Marshall : “भूमि का अर्थ केवल भूमि ही नहीं बल्कि उसमें वे सभी वस्तुएँ एवं शक्तियाँ सम्मिलित की जाती हैं, जिन्हें प्रकृति बिना मूल्य मनुष्य की सहायता के लिए भूमि में, जल में, वायु में, प्रकाश में और गरमी में प्रदान करती है ।”

भूमि के लक्षण : भूमि प्राकृतिक उपहार है । इस प्राकृतिक संपत्ति के बिना उत्पादन संभव नहीं है इसलिए भूमि उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण साधन है । भूमि के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं –

1. भूमि पर व्यक्तिगत स्वामित्व हो सकता है : भूमि एक ऐसी संपत्ति है जिस पर व्यक्तिगत स्वामित्व स्थापित किया जा सकता है । जैसे : खेत की भूमि, तालाब, जंगल इत्यादि । साम्यवादी देशों में भूमि पर सरकार का स्वामित्व होता है ।

2. मानव प्रयासों से भूमि में वृद्धि नहीं की जा सकती : भूमि प्रकृति द्वारा सर्जित होने के कारण मनुष्य भूमि की वर्तमान पूर्ति में एक इंच की भी वृद्धि नहीं कर सकता । भूमि के सतत उपयोग से इसमें कमी तो हो सकती है परन्तु वृद्धि नहीं । जैसे : कोयला, लोहा, पेट्रोलियम आदि के भंडारों में कमी आ सकती है । अगर मनुष्य किसी झील या नदी को सुखाकर कृषि योग्य . भूमि प्राप्त करता है तो ऐसा नहीं कह सकते कि भूमि की पूर्ति में वृद्धि हो गयी । धरती तल तो वहाँ पहले से ही विद्यमान था । मनुष्य ने तो केवल अपने उपयोग के लिए उसे सुधार लिया है ।

3. भूमि की गतिशीलता सीमित है : भूमि में भौगोलिक गतिशीलता नहीं होती अर्थात् भूमि अचल सम्पत्ति है । भूमि की सतह को एक स्थल से दूसरे स्थल नहीं ले जाया जा सकता । जैसे : बंगाल और बिहार की खानों को पंजाब में नहीं ले जा सकते । पंजाब की उपजाऊ भूमि को कच्छ के रेगिस्तान में नहीं ले जा सकते । भूमि की व्यावसायिक गतिशीलता होती है । जैसे : खेती की जानेवाली भूमि पर मकान बनाया जा सकता है, कारखाना बनाया जा सकता है, खेल का मैदान बनाया जा सकता है, रेलमार्ग बनाया जा सकता है ।

4. भूमि का उपयोग न होने से आर्थिक विकास अवरुद्ध होता है : मनुष्य को प्रकृति की तरफ से भूमि का विपुल भंडार प्राप्त हुआ है । परन्तु पूँजी की कमी के कारण इन प्राकृतिक सुविधाओं का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता । जैसे : सिंचाई की सुविधा के अभाव में कृषि का विकास नहीं हो पाता ।

5. भूमि की उर्वरता एकसमान नहीं : सभी भूमि एक जैसी नहीं होती, कुछ भूमि बंजर होती है कुछ अत्यन्त उपजाऊ । जैसे : राजस्थान के रेगिस्तानी प्रदेश की अपेक्षा गंगा के मैदान की भूमि अधिक उर्वर है । इस प्रकार भूमि की उर्वरता एक जैसी नहीं होती ।

6. भूमि उत्पादन का निष्क्रिय साधन है : भूमि को उत्पादन का निष्क्रिय साधन माना जाता है । इसकी उपयोगिता एवं कार्यक्षमता तकनीकी विकास पर निर्भर करती है । जब तक श्रम द्वारा यह काम में न लायी जाये शिथिल एवं निष्क्रिय पड़ी रहती है । यदि प्राकृतिक संपत्ति के उपयोग के लिए कार्यक्षम तकनीक का विकास किया जाये, तो भूमि का उपयोग अधिक कार्यक्षम तरीके से हो सकता है ।

इस प्रकार भूमि उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण साधन है ।



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