1.

चित्र में एक विभवमापी दर्शाया गया है , जिससे एक `2.0 V` और आंतरिक प्रतिरोध `0.40 Omega` का कोई सेल , विभवमापी के प्रतिरोधक तार AB पर वोल्टता पात बनाए रखना है । कोई मानक सेल जो `1.02` वोल्ट का अचर विधुत वाहक बल बनाए रखता है ( कूछ मिलीऐम्पियर की बहुत सामान्य धाराओं के लिए ) तार की `67.3` सेमी लम्बाई पर संतुलन बिंदु देता है । मानक सेल से अति न्यून धारा लेना सुनिश्चित करने के लिए इसके साथ परिपथ में श्रेणी `600 k Omega` का एक अति उच्च प्रतिरोध इसके साथ संबद्ध किया जाता है , जिससे संतुलन बिंदु प्राप्त होने के निकट लघुपथित (shorted) कर दिया जाता है । इसके बाद मानक सेल को किसी अज्ञात विधुत वाहक बल E के सेल से प्रतिस्थापित कर दिया जाता है , जिससे संतुलन बिंदु तार की `82.3` सेमी लम्बाई पर प्राप्त होता है । (a) E का मान क्या है ? (b) `600k Omega` के उच्च प्रतिरोध का क्या प्रयोजन है ? (c ) क्या इस उच्च प्रतिरोध से संतुलन बिंदु प्रभावित होता है ? (d) उपरोक्त स्थिति में यदि विभवमापी के परिचालक सेल का विधु वाहक बल `2.0` वोल्ट के स्थान पर `1.0` वोल्ट हो तो क्या यह विधि फिर भी सफल रहेगी ? (e) क्या यह परिपथ कुछ मिलीवोल्ट की कोटि के अत्यल्प विधुत वाहक बलों ( जैसे कि किसी प्रारूपी तापवैधुत युग्म का विधुत वाहक बल ) के निर्धारण में सफल होगी ? यदि नहीं तो आप इसमें किस प्रकार संशोधन करेंगे ?

Answer» (a) विभवमापी के तार की समान विभव - प्रवणता के लिए , दो सेलो के विo वाo बलों की तुलना करने का सूत्र है
`E_(2)/E_(1) = l_(2)/l_(1)` अथवा `E/E_(s) = l/l_(s)`
जहाँ
`E = l/l_(s) E_(s)`
`E_(s)= ` प्रमाणिक सेल का विo वाo बल `=1.02` वोल्ट ,
`l_(s)=` प्रमाणिक सेल से संतुलन की लम्बाई ` = 67.3` सेमी
l = अज्ञात वि वा बल के सेल से संतुलन की लम्बाई = ` 82.3` सेमी
अज्ञात विo वाo बल ,
`E = ((82.3"सेमी "))/((67.3"सेमी")) xx 1.02 ` वोल्ट = 1.25 वोल्ट
(b) उच्च प्रतिरोध का प्रयोजन धारामापी में धारा को कम करना है , जबकि जौकी संतुलन बिंदु से दूर है । इससे प्रमाणिक सेल नुकसान (damage) से बचा रहता है ।
(c ) संतुलन बिंदु उच्च प्रतिरोध से प्रभावित नहीं होता है , क्योंकि संतुलन की स्थिति में सेल परिपथ (द्वितीयक ) में धारा नहीं बहती ।
(d) नहीं , क्योंकि विभवमापी के कार्य करने के लिए परिचालक सेल का वि वा बल , द्वितीयक परिपथ के सेल के विo वाo बल (E) से अधिक होना चाहिए ।
(e ) क्योंकि संतुलन बिंदु सिरे A के निकट होगा तथा मापन में त्रुटि बहुत अधिक होगी । इसके लिए परिचालक सेल के श्रेणीक्रम में एक परिवर्ती प्रतिरोध (R) जोड़ने है तथा इसका मान इस प्रकार व्यवस्थित करते है कि तार AB के सिरों के बीच विभवपात द्वितीयक सेल के विo वाo बल से थोड़ा ही अधिक हो , ताकि संतुलन बिंदु अधिक लम्बाई पर प्राप्त हो , इससे मापने में त्रुटि कम होगी तथा मापन तथार्थता बढ़ेगी ।


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