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चित्तौड़गढ़ के दुर्ग का वर्णन लेखक ने किस प्रकार किया है? लिखिए। |
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Answer» चित्तौड़गढ़ एक पहाड़ी पर स्थित है। गढ़ की दीवारों और उनके बुर्ज खंडित हो गये हैं। करीब-करीब सारी इमारतें विनष्ट हो चुकी हैं। उन खण्डहरों के बीच दो स्तम्भ, कीर्ति स्तम्भ और विजय स्तम्भ खड़े हैं। कीर्ति स्तम्भ पुराना और जर्जर है। परन्तु विजय स्तम्भ उसके बाद का है और वीरता के इतिहास का सच्चा प्रतीक है। विजय स्तम्भ सात खण्डों का है। कला और सौन्दर्य की दृष्टि से भी विजय स्तम्भ अपूर्व है। महान् वीरता का इतिहास विजय स्तम्भ के साथ जुड़ा है। इसे गढ़ में देखने योग्य कुछ नहीं बचा है। पर लेखक को ऐसा लगा मानो इसका एक-एक कण और एक-एक पत्थर वीर गाथाएँ सुना रहा हो। केसरिया बाना पहनकर वीरों ने प्राणों को तुच्छ मानकर हँसते-हँसते बलिदान कर दिया। लेखक ने वहाँ की धूल को मस्तक से लगाया और सहर्ष प्रणाम किया। |
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