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Conclusion on Rakesh Sharma in hindi​

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श्री राकेश शर्मा की संक्षिप्त जीवनी

श्री राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी सन् 1949 को पटियाला में हुआ। उनकी शिक्षा-दीक्षा हैदराबाद में हुई। सन् 1966 में उन्होंने स्नातक की उपाधि ली। इसके बाद वे राष्ट्रीय प्रतिरक्षा अकादमी के लिए चुने गए। इस अकादमी में खड़कवासला में उन्होंने साढ़े चार वर्ष तक प्रशिक्षण प्राप्त किया। सभी प्रकार के विमानों से उन्होंने लगभग 1600 घण्टों तक उड़ान भरी है तथा सभी प्रकार के विमानों को उड़ाने में सफलता प्राप्त की है। राकेश शर्मा प्रगतिशील विचारों के हैं और उन्होंने एक पंजाबी सिख युवती से अन्तर्जातीय विवाह किया है। उनकी पत्नी मधु शर्मा नक्षत्र-नगर मास्कों में अपने पति के साथ रही। राकेश शर्मा का कपिल नामक पुत्र है तथा उनकी एक बेटी मानसी भी थी जिसकी मास्को में आपरेशन के समय मृत्यु हो गई थी।

जब राकेश शर्मा का चुनाव अन्तरिक्ष यात्रा के प्रशिक्षण के लिए किया गया तो उस समय वे बंगलौर में ‘एयर क्राफ्ट एण्ड सिस्टम डिजायन एस्टेब्लिशमैंट’ में टैस्ट पायलट के पद पर कार्यरत था। कड़े-परीक्षणों के पश्चात् श्री राकेश शर्मा तथा रबीश मल्होत्रा को मास्को में प्रशिक्षण देने के लिए चुनाव किया गया। सोवियत संघ के नक्षत्र नगर में उन्होंने सितम्बर, 1982 से मार्च 1984 तक प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा इस काल में उन्हें अन्तरिक्ष यान के तकनीकी ज्ञान, उसके नियन्त्रण, संचालन और शारीरिक क्षमता तथा अन्तरिक्ष में भारहीनता की स्थिति के सम्बन्ध में अनेक प्रकार के प्रयोग किए तथा इनका ज्ञान प्राप्त किया। अन्तिम परीक्षणों में श्री राकेश शर्मा का अन्तरिक्ष यात्री के रूप में चुनाव किया गया।

अन्तरिक्ष यात्रा का संक्षिप्त वृत्तान्त

हमारे देश में अन्तरिक्ष विज्ञान तथा अन्तरिक्ष आयोग का कार्यालय बंगलौर में है। भारत में अन्तरिक्ष अभियान श्री विक्रम साराबाई के नेतृत्व में सन् 1963 में आरम्भ हुआ तथा वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के त्याग, परिश्रम और कार्य-कुशलता के कारण अन्तरिक्ष क्षेत्र में भारत ने अनेक उपलब्धियां प्राप्त की। 19 अप्रैल, 1975 को भारत ने अपना पहला कृत्रिम उपग्रह आर्यभट्ट-1 अन्तरिक्ष में भेजा। द्वितीय उपग्रह भास्कर 7 जून, 1979 को और तीसरा उपग्रह रोहिणी-1, 17 जुलाई, 1980 को छोड़ा गया। चौथा उपग्रह रोहिणी-2, 31 मई 1981 को छोड़ा गया तथा पांचवां एप्पल 19 जून, 1981 को छोड़ा गया। इसी क्रम में हमारा देश निरन्तर आगे बढ़ता गया तथा छठा उपग्रह भास्कर–2, 20 नवम्बर, 1981 को, इनसैट-1-ए, 11 अप्रैल 1982, इनसैट-1-बी 30 अगस्त, 1983 को, रोहिणी-डी-2, 17 अप्रैल 1983 को अन्तरिक्ष में भेजे गए।



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