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Answer» भारत में निर्वाचन की प्रक्रिया भारत में निर्वाचन प्रायः निम्नलिखित प्रक्रिया के आधार पर सम्पन्न किए जाते हैं – 1. निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था – निर्वाचन की व्यवस्था में सर्वप्रथम कार्य निर्वाचन क्षेत्र को निश्चित करना है। लोकसभा में जितने सदस्य चुने जाते हैं, लगभग समान जनसंख्या वाले उतने ही क्षेत्रों में समस्त भारत को विभाजित कर दिया जाता है। इस प्रकार विधानसभाओं के निर्वाचन में राज्य को समान जनसंख्या वाले निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित कर दिया जाता है तथा प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक सदस्य चुन लिया जाता है। 2. मतदाताओं की सूची – सर्वप्रथम मतदाताओं की अस्थायी सूची तैयार की जाती है। इन सूचियों को कुछ विशेष स्थानों पर जनता के देखने हेतु रख दिया जाता है। यदि किसी सूची में किसी का नाम लिखने से रह गया हो अथवा किसी का नाम भूल से लिख गया हो तो उसको एक निश्चित तिथि तक संशोधन करवाने हेतु प्रार्थना-पत्र देना होता है, फिर संशोधित सूचियाँ तैयार की जाती हैं। 3. निर्वाचन तिथि की घोषणा – निर्वाचन आयोग निर्वाचन-तिथि की घोषणा करता है। निर्वाचन आयोग तिथि की घोषणा करने से पहले केन्द्रीय सरकार तथा राज्यों की सरकारों से विचार-विमर्श करता है। 4. निर्वाचन अधिकारियों की नियुक्ति – निर्वाचन आयोग प्रत्येक राज्य में मुख्य निर्वाचन अधिकारी तथा प्रत्येक क्षेत्र हेतु एक निर्वाचन अधिकारी, पर्यवेक्षक व अन्य अनेक कर्मचारी नियुक्त करता है। 5. नामांकन-पत्र दाखिल करना – इसके पश्चात् निर्वाचन में भाग लेने वाले व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव एक निश्चित तिथि के अन्दर छपे फॉर्म पर जिसका नामांकन पत्र है, किसी एक मतदाता द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। दूसरा मतदाता उसका अनुमोदन करता है। इच्छुक व्यक्ति (उम्मीदवार) भी उस पर स्वीकृति देता है। प्रार्थना-पत्र के साथ जमानत की निश्चित राशि जमा करवानी पड़ती है। 6. नाम की वापसी – यदि उम्मीदवार किसी कारण से अपना नाम वापस लेना चाहे तो एक निश्चित तिथि तक उसको ऐसा करने का अधिकार होता है। वह अपना नाम वापस ले सकता है। तथा नाम वापस लेने पर जमानत की राशि उसे वापस मिल जाती है। 7. जाँच तथा आपत्तियाँ – एक निश्चित तिथि को आवेदन-पत्रों की जाँच की जाती है। यदि किसी प्रार्थना-पत्र में कोई अशुद्धि रह गई हो तो ऐसे आवेदन-पत्र को अस्वीकार कर दिया जाता है। यदि कोई दूसरा व्यक्ति उसके आवेदन-पत्र के सम्बन्ध में आपत्ति करना चाहे तो ऐसा करने का अधिकार दिया जाता है। यदि आपत्ति उचित सिद्ध हो जाए तो उम्मीदवार का आवेदन-पत्र अस्वीकार कर दिया जाता है। 8. निर्वाचन अभियान – साधारणतया निर्वाचन की घोषणा के साथ ही राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार आरम्भ कर देते हैं, किन्तु वास्तव में निर्वाचन में तेजी नामांकन पत्रों की जाँच-पड़ताल के पश्चात् आती है। राजनीतिक दल का निर्वाचन घोषणा-पत्र जारी करते हैं। राजनीतिक दल सभाएँ करके, पोस्टरों द्वारा, रेडियो, दूरदर्शन आदि द्वारा अपनी नीतियों का प्रचार करते हैं। 9. मतदान एवं परिणाम – मतदान अब वोटिंग मशीन सिस्टम के द्वारा सम्पन्न किया जाता है। मतदाता इच्छित उम्मीदवार के नाम के सामने वाला बटन दबाकर अपने मत की अभिव्यक्ति कर देता है। इन मशीनों द्वारा मतों की गणना बहुत जल्दी हो जाती है जो उम्मीदवार कुल मतों का 1/10 भाग प्राप्त करने में असमर्थ हो जाता है उसकी जमानत जब्त हो जाती है।
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