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देश विभाजन का भारतीय उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा?

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15 अगस्त, 1947 को देश स्वतंत्र हुआ, साथ ही वह दो भागों में विभाजित भी हो गया। यद्यपि यह विभाजन राजनीतिक था तथापि आर्थिक दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण था। भारतीय उद्योगों पर देश विभाजन के निम्नांकित प्रभाव पड़े

⦁    भारत को अविभाजित देश के क्षेत्रफल का 77%, जनसंख्या का 82%, औद्योगिक संस्थाओं का 91% और रोजगार प्राप्त श्रमिकों का 93% भाग मिला।
⦁    अधिकांश खनिजभण्डार भारत में ही रहे। भारत को अविभाजित भारत के संपूर्ण खनिज साधनों के केवल 3% मूल्य के खनिज पदार्थों की हानि हुई।
⦁    देश के दो प्रमुख उद्योगों—सूती वस्त्र और जूट उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इसका कारण कच्चे माल का अभाव था। अविभाजित भारत को कच्चे जूट के उत्पादन पर एकाधिकार प्राप्त था,लेकिन विभाजन के परिणामस्वरूप जूट उत्पादन क्षेत्र का 81% भाग पाकिस्तान में चला गया।
⦁    पाकिस्तान में चले जाने वाले क्षेत्र में भारतीय उद्योगों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की पर्याप्त माँग रहती थी। विभाजन के बाद इन वस्तुओं की माँग में कमी आ गई। अत: इन उद्योगों को अपने उत्पादन की खपत के लिए नये बाजारों की खोज करनी पड़ी।
⦁    विभाजन के फलस्वरूप भारत से बड़ी मात्रा में योग्य एवं कुशल श्रमिक पाकिस्तान चले गए;फलस्वरूप भारतीय उद्योगों में कुशल श्रमिकों की कमी हो गई।
⦁    उद्योगों की विविधता के कारण अधिकांश उद्योगपति भारत आ गए। इससे भारत में औद्योगीकरण को प्रोत्साहन मिला।
⦁    विभाजन के पश्चात् देश में अनिश्चित एवं अस्थिर वातावरण उत्पन्न हो गया। भारतीय अर्थव्यवस्था पर विदेशियों के विश्वास में कमी आई और देश में विदेशी पूँजी का प्रवाह कम हो गया।
⦁    विभाजने के पश्चात् रेलवे की स्थिति भी असंतोषजनक रही। चटगाँव और करांची बंदरगाह विदेशी | हो गए तथा मुंबई और कोलकाता बंदरगाहों पर विशेष भार आ पड़ा। कुल मिलाकर पाकिस्तान कीतुलना में भरत लाभदायक स्थिति में रहा।



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