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दिए गए पद्यांशों को फ्ढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिएवे रोगी होंगे प्रेम जिन्हें अनुभव-रस का कटु प्याला है-वे मुर्दे होंगे प्रेम जिन्हें सम्मोहन-कारी हाला है।मैंने विदग्ध हो जान लिया, अन्तिम रहस्य पहचान लिया-मैंने आहुति बनकर देखा यह प्रेम यज्ञ की ज्वाला है !(i) उपर्युक्त पद्यांश के शीर्षक और कवि का नाम लिखिए।(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।(iii) कवि ने रोगी किसे बताया है?(iv) किनको संवेदनाहीन मृतक की संज्ञा दी गयी है?(v) कवि ने यह कैसे सिद्ध किया है कि प्रेम यज्ञ की ज्वाला के समान पवित्र और कल्याणकारी |
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Answer» (i) प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रयोगवाद के प्रवर्तक श्री सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन’अज्ञेय’ द्वारा रचित ‘पूर्वा’ कविता-संग्रह से हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘काव्यांजलि’ में संकलित ‘मैंने आहति बनकर देखा’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं। |
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