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दिए गए पद्यांशों को फ्ढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिएसावधान, मनुष्य ! यदि विज्ञान है तलवार,तो इसे दे फेंक, तजकर मोह, स्मृति के पार ।हो चुका है सिद्ध, है तू शिशु अभी अज्ञान;फूल काँटों की तुझे कुछ भी नहीं पहचान ।खेल सकता तू नहीं ले हाथ में तलवार,काट लेगा अंग, तीखी है बड़ी यह धार ।(i) उपर्युक्त पद्यांश के शीर्षक और कवि का नाम लिखिए।(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।(iii) कवि ने भौतिकवादी और वैज्ञानिक युग के मानव को क्या चेतावनी दी है?(iv) कवि ने तलवार किसे बताया है और इसका इस्तेमाल करने से मनुष्य को क्यों मना किया(v) ‘तलवार’ शब्द के दो पर्यायवाची लिखिए। |
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Answer» (i) प्रस्तुत पद्यांश कविवर रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य के छठे सर्ग से हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘काव्यांजलि’ में संकलित ‘अभिनव मनुष्य’ शीर्षक काव्यांश से उद्धत है।। |
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