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दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति के विरुद्ध लोगों के संघर्ष का विश्लेषण कीजिए।

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दक्षिण अफ्रीका में यूरोपीय लोगों द्वारा अश्वेत लोगों के साथ रंगभेद की नीति अपनायी गयी थी। यूरोप की दक्षिण अफ्रीका में व्यापार करने वाली कम्पनियों ने 17वीं एवं 18वीं शताब्दी में बलपूर्वक इस देश पर अधिकार कर लिया और वहाँ की शासक बन गयी। रंगभेद की नीति के आधार पर दक्षिण अफ्रीकी लोगों को श्वेत और अश्वेत में बाँट दिया गया। दक्षिण अफ्रीका के मूल निवासी काले रंग के हैं। ये पूरी आबादी का तीन-चौथाई हिस्सा थे और इन्हें अश्वेत कहा जाता था। इन दो समूहों के अतिरिक्त (श्वेत एवं अश्वेत) मिश्रित नस्ल वाले लोग भी थे जिन्हें रंगीन चमड़ी वाले कहा जाता था। गोरे (श्वेत) अल्पसंख्यक लोगों ने सरकार बनाई और रंगभेद की नीति अपनाई।

वे अश्वेतों को हीन समझते थे। अश्वेतों को वोट का अधिकार नहीं दिया गया था। रंगभेद नीति अश्वेतों के लिए विशेष रूप से दमनकारी थी। उन्हें गोरों के लिए आरक्षित क्षेत्रों में रहने का अधिकार नहीं था। वे गोरों के लिए आरक्षित क्षेत्रों में तभी काम कर सकते थे यदि उनके पास उसका अनुमति-पत्र हो। श्वेत एवं अश्वेत लोगों के लिए रेलगाड़ियों, बसें, टैक्सियाँ, होटल, अस्पताल, स्कूल व कॉलेज, पुस्तकालय, सिनेमा हाल, थियेटर, समुद्र तट, तरण ताल, जन-शौचालय आदि अलग-अलग थे। यहाँ तक कि गिरजाघरों में भी उनका प्रवेश वर्जित था जहाँ पर श्वेत लोग पूजा करते थे। अश्वेतों को संगठन बनाने या इसे भयानक बर्ताव का विरोध करने की अनुमति नहीं थी।

1950 तक अश्वेत, रंगीन चमड़ी वाले लोग एवं भारतीय मूल के लोग रंगभेद नीति के विरुद्ध लड़ते रहे। उन्होंने विरोध यात्राएँ निकालीं एवं हड़तालें कीं। अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस नामक दल ने इस संघर्ष का नेतृत्व किया जिसने जल्दी ही गति पकड़ ली।  बढ़ते हुए विरोधों एवं संघर्षों से सरकार को यह अहसास हो गया कि वे अश्वेतों को और अधिक समय तक दमन करके अपने शासन के अधीन नहीं रख सकते अतः श्वेतों की हुकूमते अपनी नीतियाँ बदलने के लिए विवश हो गयीं। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद वाले कानून को समाप्त कर दिया गया। राजनैतिक दलों एवं संचार माध्यमों पर लगे प्रतिबन्ध हटा लिये गए। अश्वेतों के मानवाधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले नेता नेल्सन मण्डेला को 28 वर्ष तक जेल में बंद रखने के बाद मुक्त कर दिया गया। 26 अप्रैल, 1994 की अर्द्धरात्रि के बाद दक्षिण अफ्रीका गणराज्य में नया लाल ध्वज फहराया गया। इसने विश्व में एक नए लोकतन्त्र के जन्म को इंगित किया। इस तरह दक्षिण अफ्रीका में रंग-भेद की नीति अपनाने वाली सरकार का अन्त हो गया, जिससे वहाँ एक समान मानवाधिकार वाली लोकतांत्रिक सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ।



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