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दक्षिण एशिया के देशों के बीच आर्थिक सहयोग की राह तैयार करने में दक्षेस (सार्क) की भूमिका और सीमाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। दक्षिण एशिया की बेहतरी में दक्षेस (सार्क) ज्यादा बड़ी भूमिका निभा सके, इसके लिए आप क्या सुझाव देंगे?

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दक्षिण एशिया के क्षेत्र यदि अपने आर्थिक मसलों में सहायता का रुख अपनाएँ तो सभी देश अपने देश के संसाधनों का उचित विकास कर सकते हैं। अनेक संघर्षों के बावजूद दक्षिण एशिया (सार्क) के देश परस्पर मित्रवत् सम्बन्ध तथा सहयोग के महत्त्व को पहचानते हैं। दक्षेस दक्षिण एशियाई देशों द्वारा बहुस्तरीय साधनों में सहयोग करने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है।

क्षेत्र के सदस्य देशों ने सन् 2002 में ‘दक्षिण एशियाई’ मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते (SAFTA) पर हस्ताक्षर किए। इसमें पूरे दक्षिण एशिया के लिए मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने का वायदा किया। 11वें शिखर सम्मेलन में दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र के लिए प्रारूप तैयार करने का निर्णय लिया गया। अन्तत: 2004 में दक्षेस के देशों में ‘साफ्टा’ (साउथ एशियन फ्री ट्रेड एशिया एग्रीमेण्ट) दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते पर हस्ताक्षर किए। दक्षेस का उद्देश्य आर्थिक सहयोग उपलब्ध करना भी है। 1 जनवरी, 2006 से यह समझौता प्रभावी हो गया।
सीमाएँ-दक्षेस की कुछ सीमाएँ भी हैं जिन्हें निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं-

⦁    दक्षिण एशिया के देशों के बीच आपसी विवाद तथा समस्याओं ने विशेष स्थान लिया हुआ है। कुछ देशों का मानना है कि ‘साफ्टा’ का सहारा लेकर भारत उनके बाजार में सेंध मारना चाहता है और उनके समाज और राजनीति को प्रभावित करना चाहता है।
⦁    दक्षेस में शामिल देशों की समस्याओं के कारण चीन तथा अमेरिका दक्षिण एशियाई राजनीति में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
दक्षेस की भूमिका के लिए सुझाव-
⦁     भारत और पाकिस्तान को आपस के विवादों को सुलझाना चाहिए ताकि सभी दक्षिण एशियाई देशों का ध्यान विवादों से हटकर विकास की ओर जा सके। सभी देशों के लिए भारत का विशाल बाजार सहायक हो सकता है।
⦁    वित्तीय क्षेत्र में सुधार करना आवश्यक है।
⦁    श्रम सम्बन्ध, वाणिज्यिक क्षेत्र एवं वित्तीय समस्याओं के लिए कानूनों में परिवर्तन आवश्यक है।
⦁    पड़ोसी देशों के साथ संचार तथा यातायात व्यवस्था में सुधार करना आवश्यक है।



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