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दस्तावेज़ प्रिंट करना क्या होता है ? विस्तार में बताएं।

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यह डैस्कटॉप पब्लिशिंग का बहुत ज़रूरी हिस्सा है। हम बहुत से तरीकों के साथ डाक्यूमैंट को प्रिंट करते हैं। प्रिंटिंग एक प्रोसैस है जिसमें टैक्सट, ग्राफिक्स और तस्वीरें आदि को विभिन्न-विभिन्न प्रिंट किया जा सकता है। प्रिंटिग एक बड़ी फैक्टरी का काम भी हो सकता है और एक अकेला आदमी के लिए भी। प्रिंटिंग के तरीके-

1. ऑफसैट प्रिंटिंग- इसमें स्याही पेपर पर बैठ जाती है। अब आमतौर पर हर प्रिंटिंग ऑफसैट होती है। अगर बहुत कम कागजों पर प्रिंटिंग करनी हो तो वह कम्प्यूटर प्रिंटर/कापीयर पर होगी। हमें डाक्यूमैंट की बहुत सारी कापियां (सैंकड़ों हज़ारों, लाखों या करोड़ों) करने के लिए ऑफसैट प्रिंटिंग ही सस्ती और बहुत अच्छी होती है।

2. लेजर प्रिंटिंग- यह आम प्रिंटिंग है जो कि टैक्सट और ग्राफिक्स का अच्छा प्रिंट करती है। लेज़र प्रिंटर एक नॉन-इमपैक्ट फोटो कॉपीयर टैक्नालोजी (Non-impact photocopier Technology) का प्रयोग करते हैं। इस प्रिंटिग में इलैक्ट्रीकल चार्ज (Electrical charges) द्वारा सिलीनीअम कोडड ड्रम पर लेजर बीम डाली जाती है।

जब ड्रम चार्ज होता है तो यह घूमने लग जाती है। कलर प्रिंटिंग के साथ किए हुआ काम ब्लैक एंड वाइट लेज़र प्रिंटर से 10 गुणा महंगा होता है। एक ब्लैक एंड वाईट लेज़र प्रिंटर मॉडल एक मिनट में 200 पेज प्रिंट कर सकता है। प्रिंटिंग स्पीड ग्राफिक्स पर भी निर्भर करती है। सबसे रंगदार प्रिंट करने वाला एक मिनट में 100 पेज़ प्रिंट कर सकता है। डी०टी०पी० के लिए लेजर प्रिंटर का रैजुलेशन 600 डॉटस पर (resolution 600 Dots per inch (dpi) होना चाहिए।



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