InterviewSolution
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एक द्वि- रेखाछिद्र के प्रयोग में `6000 Å` तरंगदैर्ध्य का प्रकाश प्रयोग में लाया जाता है। तो सन्दर्भ बिन्दु से शून्य कोटि की और दसवीं कोटि को दीप्त फ्रिन्जो 12.50 मिमी तथा 14.50 मिमी पर बनती हे। यादि प्रकाश की तरंगदैर्ध्य परिवर्तित करके `5000Å` कर दी जाये तो शून्य तथा दसवीं कोटि की दीप्त फ्रिन्जे कहाँ पर बनेगी जबकि और व्यवस्थाऍ समान है। |
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Answer» दीप्त फ्रिन्ज की चौडाई `W = ((14.50 -12.50)/(10)) ` मिमी =0.2 मिमी यदि छिद्रो के बीच की दूरी d छिद्रो से पर्दे की दूरी D तथा प्रकाश की तरंगदैर्ध्य `lambda ` हो तो फ्रिन्जों की चौडाई `W= (D lambda)/(d)` अथवा `(D )/(d) = (W)/(lambda) = (0.2 xx 10^(-3) मीटर)/(6000 xx 10^(-10) मीटर) = (1)/(3) xx 10^(3)` प्रकाश की तरंगदैर्ध्य `5000 Å` प्रयुक्त करने पर फ्रिन्ज की चौडाई `W=(D lambda)/(d)` `=((1)/(3) xx 10^(3)) xx 5000 xx 10^(-10) ` मीटर `=(5)/(3) xx 10^(-4) ` मीटर =0.167 मिमी। तरंगदैर्ध्य बदलने पर शुन्य कोटि की फ्रिन्ज की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होगा । अतः शून्य कोटि की फ्रिन्ज 12.50 मिमी पर ही बनेगी। अब दसवी कोटि की फिन्ज की स्थिति = 12.50 मिमी + 0.167 मिमी `xx 10 =14.17 ` मिमी। |
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