InterviewSolution
| 1. |
एकाधिकार युक्त स्पर्धा के तीन लक्षणों को समझाइए । |
|
Answer» पूर्ण स्पर्धा और एकाधिकारवाले बाज़ार के मध्य की तमाम स्थितियाँ एकाधिकारयुक्त स्पर्धावाले बाज़ार में दिखाई देती हैं । जैसे : द्विहस्तक एकाधिकार, अल्पहस्तक एकाधिकार, एकाधिकार युक्त स्पर्धा की स्थिति । ऐसे बाज़ार के लक्षण निम्नलिखित हैं – (1) असंख्य क्रेता और बड़ी संख्या में विक्रेता : एकाधिकार युक्त स्पर्धावाले बाजार में उत्पादक या विक्रेता बहुत कम या बहुत अधिक नहीं परंतु बड़ी संख्या में होते हैं । इसलिए एकाधिकारयुक्त स्पर्धा में स्पर्धा का तत्त्व बड़े पैमाने पर देखने को मिलता है । जबकि क्रेता असंख्य होते हैं इसलिए बाजार में व्यक्तिगत स्तर पर बड़े पैमाने पर परिवर्तन नहीं ला सकते हैं । इस प्रकार क्रेता वस्तु की कीमत पर प्रभाव नहीं डाल सकता है । (2) वस्तु विकलन (वस्तु भिन्नता) : जिन वस्तुओं का उत्पादन होता हैं वे एकसमान गुणधर्मवाली नहीं होतीं । वस्तुएँ संपूर्ण रूप से प्रतिस्थापन नहीं बल्कि निकटतम प्रतिस्थापन के गुण रखती हैं । ऐसी परिस्थिति को वस्तु विकलन की स्थिति कहते हैं । जैसे : टूथपेस्ट, नहाने के साबुन इत्यादि । (3) इकाईयों का मुक्त आवागमन : एकाधिकारयुक्तवाले बाजार में इकाईयों का मुक्त प्रवेश या निकास देखने को मिलता है । जब कोई एक अधिक मुनाफा कमाती है तब उस ओर अन्य इकाईयाँ प्रवेश करती है । घाटा होता है तब उस उद्योग को छोड़कर (व्यवसाय बंद . – करके) चली जाती है । इस प्रकार इकाईयों का आवागमन बना रहता है । (4) विक्रय खर्च : ‘विक्रय खर्च अर्थात् वस्तु के विक्रय के लिए होनेवाला खर्च जिसमें वस्तु का आकर्षक पेकिंग, परिवहन खर्च, विक्रय कर, शॉ-रुम और सेल्समेन के पीछे होनेवाला खर्च आदि का समावेश होता है । इस प्रकार विक्रय खर्च उत्पादन खर्च का हिस्सा नहीं है । एकाधिकारयुक्त स्पर्धा में विक्रय खर्च एक विशिष्ट लक्षण होता है । इस बाजार में स्पर्धा अधिक होने से व्यापारी या विक्रेता ग्राहक को आकर्षित करने के लिए विक्रय खर्च अधिक करते हैं । वस्तु भिन्नता के कारण वस्तु को एक निश्चित पहचान मिलती है । इसलिए विक्रय खर्च अनुकूल होता है । (5) बिनकीमत स्पर्धा : एकाधिकारयुक्त बाजार में इकाईयाँ कीमत स्थिर रखकर अन्य खर्च जैसे विक्रय खर्च, गुणवत्ता खर्च में परिवर्तन . करके वस्तु को विक्रय करके लाभ कमा सकते हैं । जिसे बिन कीमत स्पर्धा कहते हैं । (6) बाजार की अपर्याप्त ज्ञान : इस बाजार में वस्तु विक्रेता ओर क्रेता को बाजार का सम्पूर्ण ज्ञान नहीं होता है । बाजार में प्रतिस्थापन वस्तुओं के गुणधर्म या गुणवत्ता से अपरिचित होते हैं । इसलिए एकसमान वस्तुओं की कीमत कम या अधिक होती है अर्थात् समान नहीं होती है । |
|