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एकता की रक्षा के लिए हमें क्या करना चाहिए?350-400 wordsplease help me |
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Answer» राष्ट्रीयता तथा शिक्षा प्रत्येक राष्ट्र की उन्नति अथवा अवनित इस बात पर निर्भर करती है की उसके नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना किस सीमा तक विकसित हुई है। यदि नागरिक राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत है तो राष्ट्र उन्नति के शिखर पर चढ़ता रहेगा अन्यथा उसे एक दिन रसातल को जाना होगा। कहने का तात्पर्य यह है कि राष्ट्र को सबल तथा सफल बनाने के लिये नागरिकों में राष्ट्रीयता की बहावना विकसित करना परम आवश्यक है। धयान देने की बात है कि राष्ट्रीयता की भावना को विकसित करने के लिए शिक्षा की आवशयकता है। इसीलिए प्रत्येक राष्ट्र अपने आस्तित्व बनाये रखने के लिए अपने नागरिकों में राष्ट्रीयता की भावना में विकास हेतु शिक्षा को अपना मुख्य सधान बना लेता है। स्पार्टा, जर्मनी, इटली , जापान तथा रूस एवं चीन की शिक्षा इस सम्बन्ध में ज्वलंत उदहारण है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि प्राचीन युग में स्पार्टा तथा अन्धुनिक युग में नाजी जर्मनी एवं फासिस्ट इटली में शिक्षा द्वारा ही वहाँ के नागरिकों में राष्ट्रीयता का विकास किया गया तथा आज भी रूस तथा चीन के बालकों में प्रराम्भिक कक्षाओं से साम्यवादी भावना का विकास किया जाता है। चीन के बालकों में प्रारंभिक कक्षाओं में साम्यवादी भावना का विकास किया जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि तानाशाही, समाजवादी एवं जनतंत्रीय सभी प्रकार के राष्ट्र अपनी-अपनी व्यवस्था को बनाये रखने के लिए अपने-अपने नागरिकों में शिक्षा के द्वारा राष्ट्रीयता की भावना को विकसति करते हैं। राष्ट्रीय की शिक्षा के लाभ राजनीतिक एकता – राष्ट्रीयता की शिक्षा से राष्ट्र में राजनितिक एकता का विकास होता है। राजनीतिक एकता का विकास होता है। राजनीतिक एकता का अर्थ है – राष्ट्र में जातीयता, प्रान्तीयता तथा समाज के वर्ग भेदों से ऊपर उठाकर राष्ट्र के विभिन्न प्रान्तों, समाजिक इकाईयों तथा जातियों में एकता का होना। राष्ट्रीय शिक्षा प्राप्त करके राष्ट्र के सभी नागरिक अपने सारे भेद-भावों को भूलकर एकता के सूत्र में बन्ध जाते हैं जिससे राष्ट्र दृढ तथा सबल बन जाता है। सामाजिक उन्नति – राष्ट्र की उन्नति अथवा अवनति उसकी सामाजिक स्थिति पर भी बहुत कुछ आधारित होती है। सामाजिक कुरीतियाँ, अन्ध-विश्वास तथा दोषपूर्ण रीती-रिवाज राष्ट्र की प्रगति में बाधक सिद्ध होते हैं तथा उसे पतन की ओर ढकेल देते हैं। राष्ट्रीयता की शिक्षा उक्त सभी दोषों को दूर करके नागरिकों में समानता का ऐसा स्वस्थ वातावरण निर्मित करती है, जो राष्ट्र को निर्मल स्वच्छता की ओर ले जाता है। आर्थिक उन्नति – राष्ट्रीयता की शिक्षा से राष्ट्र की कला, कारीगर, तथा उधोग-धन्धे पनपते हैं। ऐसी शिक्षा को प्राप्त करके राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक किसी न किसी धन्धे में काम करते हुए अधिक से अधिक परिश्रम करता है तथा स्वावलम्बी बनाने के लिए राष्ट्र की दिन-प्रतिदिन उन्नति होती है। इससे राष्ट्र की निर्धनता दूर हो जाती है तथा वह शैने –शैने , धन-धान्य से परिपूर्ण होकर स्म्रिधिशील बन जाता है। संस्कृति का विकास – राष्ट्रीयता की शिक्षा राष्ट्र की संस्कृति का संरक्षण, विकास तथा हस्तांतरण करती है। यदि राष्ट्रीयता की शिक्षा की व्यवस्था उचित रूप से नहीं की गई तो राष्ट्र की संस्कृति विकसित नहीं होगी। परिणामस्वरूप राष्ट्र उन्नति की दौड़ में पिछड़ जायेगा। भ्रष्टाचार का अन्त- राष्ट्रीयता की शिक्षा के द्वरा राष्ट्र में भ्रष्टाचार का अन्त हो जाता है। ऐसी शिक्षा प्राप्त करके सभी नागरिक राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत हो जाते हैं। परिणामस्वरूप वे निन्दनीय कार्यों को करते हुए डरने लगते हैं। दूसरे शब्दों में , राष्ट्रीयता की शिक्षा प्राप्त करके राष्ट्र का कोई व्यक्ति ऐसा अवांछनीय कार्य नहीं करता जिससे राष्ट्र की उन्नति में बाधा आये। स्वार्थ त्याग की भावना का विकास – राष्ट्रीयता की शिक्षा राष्ट्र के द्वारा राष्ट्र के सभी नागरिकों में आत्म-त्याग की भावना विकसित हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप उनकी सभी स्वार्थपूर्ण भावनायें समाप्त हो जाती है तथा वे अपने कर्तव्यों एवं उतरदायित्यों को पूर्ण निष्ठा के साथ निभाने का प्रयास करते रहते हैं। इससे राष्ट्र सुखी, उन्नतिशील तथा शक्तिशाली बन जाता है। राष्ट्रीय भाषा का विकास – प्रत्येक राष्ट्र अपने नागरिकों को किसी अमुख भाषा के द्वारा राष्ट्र की सम्पूर्ण विचारधारा तथा साहित्य की शिक्षा प्रदान करके समाज की विभिन्न इकाईयों, राज्यों तथा जातियों एवं प्रजातियों को एकता के सूत्र में बांधने का प्रयास करता है। इससे राष्ट्रीय भाषा का विकास हो जाता है। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट हो जाता है कि राष्ट्रीयता की शिक्षा नागरिकों में राष्ट्र के प्रति अपार भक्ति, आज्ञा-पालन, आत्म-त्याग, कर्तव्यपरायणता तथा अनुशासन आदि गुणों को विकसति करके सभी प्रकार के भेद-बावों को भुलाकर एकता के सूत्र में बाँध देती है। इससे राष्ट्र की राजनीतिक, आर्थिक , सामाजिक तथा सांस्कृतिक आदि सभी प्रकार की उन्नति होती रहती हैं। Explanation: |
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