InterviewSolution
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घर की पूर्ण सफाई के उद्देश्य से घर के कूड़े-करकट, गन्दे पानी तथा मल-मूत्र के विसर्जन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।याघर के कूड़े-करकट को हटाने और नष्ट करने के उपायों पर प्रकाश डालिए।याकूड़े-करकट को ठिकाने लगाने की मुख्य विधियों का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» गन्दगी के सामान्य कारण एवं उनका निवारण घर एवं घर के आस-पास की स्वच्छता को विपरीत रूप से प्रभावित करने वाले कारक प्रायः कूड़ा-करकट, गन्दा पानी व मल-मूत्र इत्यादि होते हैं। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इनके निष्कासन की उचित व्यवस्था करना आवश्यक है। (1) कूड़े-करकट का निकास-फलों व सब्जी के छिलके, कोयले की राख, भूसी-चोकर, खाद्य पदार्थों की पैकिंग के कागज, दवाइयों के रैपर एवं पॉलीथीन के खाली व गन्दे रैपर तथा थैले इत्यादि प्रायः प्रत्येक घर के दैनिक कूड़ा-करकट होते हैं। इसके अतिरिक्त घरेलू पेड़-पौधों के गिरे हुए कच्चे फल, पत्तियाँ व शाखाएँ भी प्रतिदिन के कूड़े-करकट में वृद्धि करते हैं। कूड़ा-करकट की दैनिक सफाई अति आवश्यक है, क्योंकि यह घर के कूड़े-करकट को नष्ट करने या हटाने के लिए अग्रलिखित उपाय किए जा सकते हैं (अ) कूड़े को जलाना-कूड़े को नष्ट करने का एक सरल उपाय हे-कूड़े को जलाना। परन्तु वर्तमान समय में घरेलू कूड़े में प्लास्टिक, रबड़ तथा पी०वी०सी० की अनेक वस्तुएँ होती हैं। इन वस्तुओं को जलाने से बहुत अधिक प्रदूषण होता है। अतः इस प्रकार के कूड़े को जलाना उचित नहीं माना जाता। (ब) कूड़े से गड्ढों को पाटना-इस उपाय के अन्तर्गत नीची जमीन या दलदल को समाप्त करने के लिए वहाँ कूड़ा डाला जाता है। इस विधि के अन्तर्गत काफी समय तक कूड़ा खुला पड़ा रहता है, जिसमें मक्खी, मच्छर, विभिन्न रोगाणु तथा दुर्गन्ध व्याप्त होने लगती है। इन कारणों से कूड़े को हटाने के इस उपाय को भी उपयुक्त नहीं माना जाता। (स) छंटाई द्वारा कूड़े को उपयोग में लाना–कूड़े को हटाने के इस उपाय के अन्तर्गत कूड़े की छंटाई की जाती है। कार्बनिक कूड़े से खाद बना ली जाती है, कठोर कूड़े से ईंट बनाने का कार्य किया जाता है तथा प्लास्टिक आदि से पुनः विभिन्न वस्तुएँ बना ली जाती हैं। कूड़े-करकट को हटाने का यह उपाय ही सर्वोत्तम है। (2) गन्दे पानी का निकास–घरों में आँगन, स्नानागार, रसोईघर इत्यादि के गन्दे पानी के निकास के लिए इनका ढाल मुख्य नाली की ओर होना चाहिए। सभी नालियाँ पक्की व यथासम्भव सीमेण्ट की बनी होनी चाहिए। इनका सम्बन्ध मुख्य नाली से तथा मुख्य नाली का सम्बन्ध नगरपालिका द्वारा निर्मित नालियों से होना चाहिए। घर की सभी नालियों की सफाई का दायित्व गृहिणी का होता है। अतः इनकी धुलाई प्रतिदिन होनी चाहिए। नालियों में कूड़ा-करकट कभी नहीं डालना चाहिए। इससे गन्दे पानी के निकास में अवरोध उत्पन्न होता है। नालियों में जमा कीचड़ व काई की सफाई सख्त तारों के ब्रश से करनी चाहिए। समय-समय पर नालियों को फिनाइल से अवश्य धोना चाहिए। आधुनिक गृह-निर्माण में नालियाँ फर्श के नीचे बनाई जाती हैं। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से ये अधिक लाभकारी हैं, | परन्तु इनकी दैनिक सफाई अति आवश्यक है। (3) मल-मूत्र का निकासमल-मूत्र के निकास की प्रायः दो विधियाँ प्रचलित हैं- (क) शुष्क विधि-इस विधि में शौचालय में एक खोखला मंच बनाया जाता है। इसके नीचे सरलता से हटाया जा सकने वाला डिब्बा अथवा तसला होता है जिसमें मल एकत्रित होता रहता है। सफाई कर्मचारी अथवा मेहतर प्रतिदिन एकत्रित मल को ले जाकर एक निश्चित स्थान पर डाल देते हैं। जहाँ से नगरपालिका कर्मचारी इसे ले जाते हैं। एकत्रित मल को नगर से दूर ले जाकर धरती में बनी खन्दकों में डालकर मिट्टी से ढक दिया जाता है। जहाँ यह सड़कर खाद बन जाता है। विदेशों में इसे जलाकर नष्ट कर दिया जाता है। ध्यान देने योग्य बातें–स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह विधि अधिक सन्तोषजनक नहीं है। इसमें शौचालय की दुर्गन्ध से घर का वातावरण अप्रिय रहता है तथा रोगाणुओं के पनपने की पूर्ण सम्भावना रहती है। इसके अतिरिक्त मनुष्य द्वारा मनुष्य के ही मल को ढोना एक अमानवीय कार्य भी है। अत: जहाँ तक सम्भव हो सके मल-विसर्जन की इस विधि को त्याग देना ही उचित है। यदि किसी बाध्यता के कारण इस विधि को अपनाना आवश्यक हो तो निम्नलिखित बातों को अनिवार्य रूप से ध्यान में रखना चाहिए| सीवर-लाइन न होने की दशा में एक दूसरे प्रकार की जल-संवहन विधि अपनाई जाती है। इसमें । प्रत्येक घर में शौचालय के निकट एक बन्द हौज अथवा सेप्टिक टैंक बनवाया जाता है। निष्कासित मल जल संवहन विधि द्वारा भूमिगत पाइप लाइन में से होकर सेप्टिक टैंक में एकत्रित होता रहता है। गन्दा . पानी सेप्टिक टैंक की मिट्टी द्वारा सोख लिया जाता है तथा एकत्रित मल सुड़कर नष्ट होता रहता है। कुछ वर्षों उपरान्त एक बार सेप्टिक टैंक को खुलवाकर इसकी सफाई कराई जाती है।। नत संवहन विधि : दो प्रकार के कमोड प्रयोग में लाए जाते है। भारतीय विधि के कोड में पैरों के बल बैठकर मल त्याग किया जाता है, जबकि यूरोपियन शैली के कमोड में कुर्सी की भाँति बैठकर मल निष्कासन किया जाता है। |
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