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‘गलती करनेवाला तो है ही गुनहगार पर उसे बर्दाश्त करनेवाला भी कम गुनहगार नहीं होता’ समझाइए।

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गलती करनेवाला तो है ही गुनहगार पर उसे बर्दाश्त करनेवाला भी कम गुनहगार नहीं होता, हम इससे सहमत हैं क्योंकि हम गुनाह सहन करते है, तभी गुनहगार गुनाह करने के लिए प्रेरित होते है। जैसे – मैथ्स टीचर्स ट्यूशन के लिए विद्यार्थियों पर दबाव डालता है । विद्यार्थी 7 से बढ़कर 22 हो जाते हैं। लेकिन अमित नहीं करता हैं तो मैथ्स टीचर्स उसे कम नंबर देने का गुनाह करता है।

अमित और उसकी माता लीला और पिता कांतिभाई इसे सहन करने के लिए तैयार हो जाते हैं । कौन इसका विरोध करे । रजनी जब उसका विरोध करने के लिए कहती है, तो उन्हें मुसीबत लगती है । इसलिए ट्यूशन का अनैतिक धंधा चल रहा है । बच्चे पिस रहे हैं । रजनी ने इसे गुनाह समझा, उसका डटकर विरोध किया।

प्रिंसीपल से लेकर शिक्षा निदेशक तथा अखबार में पेरेन्ट्स मीटींग का अहवाल छपाकर संपादक की मदद से सरकार तक अपनी बात पहुँचाई। सरकार ने इस जनआंदोलन को पहचान और रजनी ने ट्यूशन का प्रस्ताव कि स्कूल टीचर अपने स्कूल के छात्रों का ट्यूशन नहीं करेगा। उसे जैसे का तैसा स्वीकार कर लिया।

इस पर रजनी पति से कहती है कि “मैं तो कहती हैं कि अगर डटकर मुकाबला किया जाए तो कौन-सा ऐसा अन्याय है, जिसकी धज्जियाँ न बिखेरी जा सकती है।” इस प्रकार कहा जा सकता है कि अन्याय करनेवाले से अन्याय सहनेवाला अधिक गुनहगार होता है।



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