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Answer» स्वच्छता के अन्तर्गत मल-मूत्र को हटाने, वर्षा-जल और प्रवाहित द्रव्य के निकास तथा कूड़ा-करकट के निस्तारण के प्रबन्ध आते हैं। उचित एवं पर्याप्त स्वच्छता स्वास्थ्य, उत्पादकता एवं जीवन की गुणवत्ता में सुधार की अनिवार्य शर्ते हैं। देश में स्वच्छता की स्थिति विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में दयनीय है। केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम ग्रामीण लोगों के रहन-सहन को सुधारने तथा महिलाओं को गोपनीयता तथा अस्मिता प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 1986 में शुरू किया गया। स्वच्छता की धारणा में ठोस व तरल कूड़ा-करकट, जिसमें मानव मल-मूत्र भी सम्मिलित है, का सुरक्षित तरीके से समापन और व्यक्तिगत, घरेलू तथा वातावरण की स्वच्छता सम्मिलित है। केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम के अन्तर्गत आवंटित केन्द्रीय निधियों से राज्यों को क्षेत्र की न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के अन्तर्गत उपलब्ध कराये गये संसाधनों की अनुपूर्ति की जाती है। इस कार्यक्रम के उद्देश्य निम्नलिखित हैं ⦁ ग्रामीण जनता, विशेषकर गरीबी की रेखा से नीचे बसर करने वाले परिवारों को स्वच्छता सुविधाएँ उपलब्ध कराने में तेजी लाना, जिससे ग्रामीण जलापूर्ति के प्रयासों में सहायता मिले। ⦁ स्वैच्छिक संगठनों तथा पंचायती राज संस्थाओं की सहायता से और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से सफाई के प्रति जागरूकता पैदा करना। ⦁ सभी विद्यमान शुष्क शौचालयों को कम लागत वाले स्वच्छ शौचालयों में बदलकर सिर पर मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करना। ⦁ अन्य उद्देश्यों के लिए कम लागत वाली और उपयुक्त प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहन देना। कार्यक्रम के घटक ⦁ गरीबी की रेखा से नीचे जीवन व्यतीत करने वाले परिवारों के लिए, जहाँ आवश्यक हो, 80 प्रतिशत सब्सिडी सहित अलग-अलग शौचालयों का निर्माण करना। ⦁ अन्य परिवारों को सैनिटरी मार्ट सहित बाजारों से सुविधाएँ प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन देना। ⦁ सैनिटरी मार्ट की स्थापना में मदद करना। ⦁ चयनित क्षेत्रों में जोरदार जागरूकता अभियान शुरू करना। ⦁ विशेष रूप से महिलाओं के लिए स्वच्छ शौचालय परिसरों की स्थापना करना। ⦁ शौचालयों के स्थानीय रूप से उपयुक्त तथा स्वीकार्य मॉडलों को प्रोत्साहन देना। ⦁ तरल व ठोस कूड़ा-करकट के निपटान के लिए सोखता-गड़ों का निर्माण करके गाँव की पूर्ण स्वच्छता को बढ़ावा देना। सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदम – केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम को वर्ष 1999 में नये सिरे से तैयार किया गया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण गरीब लोगों को पर्याप्त स्वच्छता सुविधाएँ उपलब्ध कराना, स्वास्थ्य शिक्षा के सम्बन्ध में जागरूकता बढ़ाना, मौजूद सभी शुष्क शौचघरों को कम लागत के सुलभ शौचालयों में परिवर्तित कर सिर पर मैला ढोने की समस्या का उन्मूलन करना है। इसके अन्तर्गत देश में विभिन्न चरणों में समग्र तौर पर स्वच्छता अभियानों को कार्यान्वयन किया जा रहा है। प्रथम चरण के अन्तर्गत राज्यों द्वारा 58 पायलट जिलों में कार्यान्वयन हेतु पहचान की गयी और इसे सम्पूर्ण देश में 150 जिलों तक बढ़ाया गया है। ग्रामीण स्कूल स्वच्छता कार्यक्रम को एक मुख्य अवयव के रूप में और ग्रामीण लोगों की प्रारम्भिक स्तर पर इसे व्यापक स्वीकृति के तौर पर आरम्भ किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नौवीं योजना के अन्त तक सभी ग्रामीण स्कूलों में शौचघरों का निर्माण कराना है। नौवीं योजना के प्रारम्भ में स्वच्छता सुविधाओं के साथ ग्रामीण जनसंख्या का कवरेज नौवीं योजना के प्रारम्भ में लगभग 17 प्रतिशत था। इसमें इस योजना के प्रथम कुछ वर्षों के दौरान लगभग तीन प्रतिशत अथवा इसके आसपास वृद्धि हुई। गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्तियों विशेष रूप से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा मुक्त बन्धुआ श्रमिकों के लिए व्यक्तिगत सुलभ शौचालयों का निर्माण किया जाता है। वर्ष 2007-08 के बजट में ₹1,060 करोड़ की ग्रामीण स्वच्छता के लिए व्यवस्था की गयी है, जो 75 प्रतिशत आवंटनों सहित राज्यों द्वारा निर्णय किये जाने वाले चयनित जिलों में सम्पूर्ण सफाई अभियान के लिए है।
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