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गरीबी के लिए आर्थिक कारण समझाइए ।

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गरीबी के आर्थिक कारण निम्नानुसार हैं :

(1) नीची श्रम की कृषि उत्पादकता : भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का मुख्य कारण कृषि क्षेत्र में श्रमिक की नीची उत्पादकता है । कृषि क्षेत्र में सिंचाई का अभाव, अपर्याप्त टेक्नोलोजी, शिक्षा का अभाव, पूँजीनिवेश की नीची दर, जनसंख्या के अधिक भार के कारण प्रति श्रमिक कृषि उत्पादकता नीची होने से आय भी कम होती है और गरीबी का प्रमाण अधिक देखने को मिलता है ।

(2) जमीन और संपत्ति का असमान वितरण : भारत में ब्रिटिश शासनकाल से ही जमीन और संपत्ति का असमान वितरण हुआ है । अंग्रेजो की नीति के कारण जमीन, जमीनदारों और बड़े किसानों के कुछ लोगों के हाथ में थी । जिन्हें कृषि में कोई रूचि नहीं थी दूसरी ओर-कृषि मजदूर, काश्तकार या बटाईदारों की भी जमीन मालिकी न होने से उन्हें पूँजीनिवेश में कोई रूचि नहीं थी । परिणाम स्वरूप कृषि क्षेत्र में नीची उत्पादकता के कारण गरीबी का प्रमाण अधिक था ।

(3) छोटे और गृह उद्योगों का अल्पविकास : दूसरी पंचवर्षीय योजना से आधारभूत एवं बड़े उद्योगों को अधिक महत्त्व दिया गया । परंतु छोटे और गृह उद्योगों की अवहेलना की गई । इसके साथ कृषि से सम्बन्धित उद्योग जैसे कि पशुपालन, डेरी उद्योग, मत्स्यपालन आदि के कम विकास के कारण मौसमी बेकारी भी अधिक देखने को मिलती है । परिणाम स्वरूप गरीबी अधिक देखने को मिलती है ।

(4) भाववृद्धि : भाववृद्धि गरीबी का मुख्य कारण है । युद्ध, अकाल, कम राष्ट्रीय उत्पादन, मांग में वृद्धि, उत्पादन खर्च में वृद्धि आदि के कारण वस्तुओं और सेवाओं तथा खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि होती है । जिससे कम आयवालों की क्रयशक्ति में कमी आती है जिससे नीचा जीवनस्तर होता है । गरीबी में वृद्धि होती है ।

(5) बेकारी का अधिक प्रमाण : भारत में अधिकांशतः जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि पर निर्भर होती है । परंतु भारत की अभी भी बरसाद पर निर्भर होती है । इसलिए वर्ष में एक या दो फसल लेते हैं । इसलिए कृषि क्षेत्र में मौसमी बैकारी अधिक देखने को मिलती है । साथ ही कृषि क्षेत्र पर अधिक भार होने से प्रच्छन्न बेकारी अधिक देखने को मिलती है । ग्रामीण क्षेत्रों में पूरक उद्योगों का कम विकास, अशिक्षा, श्रम की अल्प गतिशीलता आदि के कारण बेकारी का प्रमाण अधिक होने से गरीबी भी खड़ी होती है ।



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