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ग्रीष्म ऋतु में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं?

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वसंत के बाद ग्रीष्म ऋतु आते ही प्रकृति का सौम्य, सुंदर, सुगंधित स्वरूप, विकट और असहनीय ताप से कुरूप होने लगता है। ग्रीष्म की प्रचंडता प्रारम्भ होते ही, धरती और आकाश मानो जलने से लगते हैं। घास हो या वृक्ष सभी गर्मी से सूख-सूख कर कुरूप हो जाते हैं। लूओं की लपट शरीर को झुलसाने लगती है। वनों में दावाग्नि लगने से उजाला होने लगता है। शरीर गरमी से तपने लगता है। प्रचण्ड सूर्य के ताप से बचने को लोग नदियों का सहारा लेने लगते हैं। सब प्राणी घनी और ठण्डी छया पाने को लालायित रहते हैं।
इस प्रकार ग्रीष्म ऋतु अपने ताप से सारे जीव-जगत को व्याकुल बना देती है।



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