| हिमालय की नदियाँ | द्वीपीय पठार की नदियाँ |
| (1) इन नदियों की लंबाई बहुत अधिक है। | (1) इनकी लंबाई अपेक्षाकृत कम है। |
| (2) ये नदियाँ बारहमासी हैं। वर्षा ऋतु में इनमें वर्षा का जल बहता है। ग्रीष्म ऋतु में हिमालय की हिम पिघलने से इन नदियों को जल मिलता रहता है। | (2) ये नदियाँ मौसमी हैं। इनमें केवल वर्षा ऋतु में ही जल रहता है। ग्रीष्मकाल में ये नदियाँ शुष्क हो जाती हैं। |
| (3) ये नदियाँ काँप के जमाव से एक विस्तृत मैदान का जल बहता है। | (3) ये नदियाँ अधिक विस्तृत मैदान नहीं बनाती हैं। का निर्माण करती हैं। केवल इन नदियों के मुहाने पर ही संकरे मैदान बनते हैं। |
| (4) इन नदियों से जल-विद्युत् उत्पन्न की जाती है और सिंचाई के लिए सारा वर्ष जल प्राप्त किया जाता है। | (4) इन नदियों से सम्पूर्ण वर्ष सिंचाई नहीं की जा सकती। |
| (5) ये नदियाँ यातायात की दृष्टि से उपयोगी नहीं हैं। | (5) ये नदियाँ यातायात की सुविधा प्रदान करती हैं। |
| (6) ये नदियाँ अपने मार्ग में महाखड्ड (गार्ज) बनाती हैं। इस प्रकार ये गहरी घाटियों में से होकर बहती हैं। | (6) ये नदियाँ महत्त्वपूर्ण जल-प्रपात बनाती हैं। ये उथली घाटियों में से होकर बहती हैं। |
| (7) इनकी अपरदन क्षमता बहुत ही अधिक है। इसलिए इनमें अवसाद की मात्रा बहुत अधिक होती है। | (7) इनकी अपरदन क्षमता अपेक्षाकृत कम है। इसलिए इनमें अवसाद की मात्रा कम होती है। |
| (8) अवसाद के जमाव से ये नदियाँ मैदानों में बड़ी संख्या में विसरों का निर्माण करती हैं। | (8) चट्टानी धरातल होने तथा अवसाद की कमी होने के कारण ये नदियाँ विसरों का निर्माण नहीं कर पातीं। |