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हिन्दू एवं मुस्लिम समाज में स्त्रियों की स्थिति पर अपने विचार प्रकट कीजिए।याहिन्दू एवं मुस्लिम स्त्रियों की स्थिति की तुलना कीजिए।

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मुस्लिम स्त्रियों में बहुपत्नीत्व, पर्दा-प्रथा, धार्मिक कट्टरता, अशिक्षा एवं स्त्रियों द्वारा वास्तव में तलाक देने सम्बन्धी कई समस्याएँ पायी जाती हैं। हिन्दू और मुस्लिम स्त्रियों की स्थिति में कुछ समानताएँ पायी जाती हैं; जैसे – पर्दा-प्रथा, बाल-विवाह एवं बहुपत्नी–प्रथा का प्रचलन दोनों में ही है। किसी क्षेत्र में हिन्दू स्त्री की स्थिति अच्छी है, तो किसी में मुस्लिम स्त्री की। हम यहाँ विभिन्न आधारों पर दोनों की ही स्थिति की तुलना करेंगे

1. पर्दा-प्रथा – दोनों में ही पर्दा-प्रथा पायी जाती है, किन्तु हिन्दुओं की अपेक्षा मुसलमानों में इसका कठोर रूप पाया जाता है।

2. शिक्षा – मुस्लिम स्त्रियों की तुलना में हिन्दू स्त्रियों में शिक्षा का प्रचलन अधिक है।

3. आर्थिक – राजनीतिक स्थिति – आर्थिक, राजनीतिक एवं सार्वजनिक क्षेत्र में मुस्लिम स्त्रियों की अपेक्षा हिन्दू स्त्रियाँ अधिक कार्यरत हैं और उनकी स्थिति भी ऊँची है। हिन्दू स्त्रियाँ सामाजिक कल्याण, सार्वजनिक एवं राजनीतिक गतिविधियों में अधिक भाग लेती हैं।

4. तलाक – हिन्दू स्त्री को तलाक देने का अधिकार प्राप्त नहीं है, जब कि मुस्लिम स्त्री को है। 1955 ई० के हिन्दू विवाह अधिनियम ने हिन्दू स्त्रियों को भी तलाक का अधिकार दिया है, किन्तु व्यवहार में इसका प्रयोग कम ही होता है।

5. विधवा पुनर्विवाह – हिन्दू विधवाओं को पुनर्विवाह का अधिकार नहीं था, जब कि मुस्लिम विधवाओं को है। 1856 ई० के हिन्दू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम ने हिन्दू स्त्रियों को भी यह अधिकार दिया है, किन्तु व्यवहार में इसका प्रयोग कम ही होता है।

6. बाल-विवाह – हिन्दुओं में बाल-विवाह का प्रचलन है, मुसलमानों में बाल-विवाह संरक्षकों व माता-पिता की स्वीकृति से ही होते हैं। ऐसे विवाह को लड़की बालिग होने पर चाहे तो मना भी कर सकती है।

7. दहेज – हिन्दुओं में दहेज-प्रथा पायी जाती है, जिसके कारण स्त्रियों की स्थिति निम्न हो जाती है, उन्हें परिवार पर भार और उनका जन्म अपशकुन माना जाता है, जब कि मुसलमानों में ‘मेहर’ की प्रथा है जिसमें वर विवाह के समय वधू को कुछ धन देता है। या देने का वादा करता है। इससे स्त्री की सामाजिक, पारिवारिक व आर्थिक स्थिति ऊँची होती है।

8. सम्पत्ति – सम्पत्ति की दृष्टि से मुस्लिम स्त्रियों को माँ, पुत्री एवं पत्नी के रूप में हिस्सेदार व उत्तराधिकारी बनाया गया है और वह अपनी सम्पत्ति का मनमाना उपयोग कर सकती है, किन्तु सन् 1937 तथा 1956 ई० के सम्पत्ति सम्बन्धी अधिनियमों से पूर्व हिन्दू स्त्रियों का सम्पत्ति में कोई अधिकार नहीं था। व्यवहार में आज भी उनकी स्थिति पूर्ववत् ही है।

9. बहुपत्नीत्व – मुसलमानों में बहुपत्नीत्व के कारण हिन्दू स्त्री की तुलना में मुस्लिम स्त्री की स्थिति निम्न है। हिन्दुओं में भी बहुपत्नीत्व पाया जाता है, किन्तु यह अधिकांशतः सम्पन्न लोगों तक ही सीमित है।

10. विवाह की स्वीकृति – मुसलमानों में विवाह से पूर्व लड़की से इसकी स्वीकृति ली जाती है, जब कि हिन्दुओं में ऐसा नहीं होता था, यद्यपि अब ऐसा होने लगा है।

11. सार्वजनिक जीवन – हिन्दू स्त्रियों को सार्वजनिक जीवन एवं राजनीति में भाग लेने की स्वीकृति दी गयी है, जब कि मुस्लिम स्त्रियों को इसकी मनाही है। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि सैद्धान्तिक दृष्टि से मुस्लिम स्त्रियों की स्थिति हिन्दू स्त्रियों से उच्च है, किन्तु व्यवहार में नहीं।



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