InterviewSolution
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जब प्रतिरोध G का धारामापी, निम्न प्रतिरोध के शण्ट S के साथ संयोजित किया जाता है प्रभावी प्रतिरोध `R_(eff)=(GS)/(G+S)` है यदि इस धारामापी से धारा प्रवाहित की जाती है तो धारा का अधिकतम भाग शण्ट से होकर एवं शेष भाग धारामापी से होकर प्रवाहित होता है अर्थात धारा स्वयं को स्वतः ही प्रतिरोध के व्युत्क्रम में विभक्त कर लेती है उपरोक्त अनुच्छेद को पढ़कर निम्न प्रश्नो के उत्तर दीजिए - (i) शण्ट से जुड़े धारामापी का प्रतिरोध शण्ट से कम क्यों होता है ? (ii) एक `30Omega` प्रतिरोध के धारामापी को `3Omega` के शण्ट के साथ जोड़ने पर मुख्या धारा कितना भाग (i) गैल्वेनोमीटर (ii) शण्ट से होकर प्रवाहित होगा । (iii) उपरोक्त अनुच्छेद से आप किन मानव मूल्यों को सीखते है ? |
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Answer» (i) शण्ट निम्न प्रतिरोध का होता है जिसे धारामापी के साथ समान्तर क्रम में जोड़ते है जिससे उनके संयोजित से शण्ट से जुड़े धारामापी का प्रतिरोध शण्ट के प्रतिरोध से कम जाता है । (ii) माना I कुल धारा है तथा G प्रतिरोध के धारामापी से प्रवाहित धारा `I_(g)` व शण्ट से प्रवाहित धारा `I_(s)` है चूँकि धारा स्वतः ही प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती में विभक्त हो जाती है अतः धारामापी से प्रवाहित का मान `(I_(g))/(I)=(S)/(G+S)=(3)/(30+3)=(1)/(11)` शण्ट से प्रवाहित धारा का भाग `(I_(s))/(I)=(S)/(G+S)=(30)/(30+3)=(10)/(11)`. (iii) धारा स्वतः ही प्रतिरोध के व्यत्क्रम में विभक्त से होकर गुजरती है इसी प्रकार में सफलता प्राप्ति हेतु अथवा आगे बढ़ने के लिए सदैव उस मार्ग का चयन करते है जिसमे लक्ष्य को प्राप्त करने में कम बाधा उत्पन्न होती है क्योकि ऐसा करने पर उसकी ऊर्जा व समय दोनों की बचत होती है और वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है |
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