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जलने व झुलसने में क्या अन्तर है?जलने के विभिन्न प्रकार एवं उनके उपचार बताइए।

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जलना एवं झुलसना-जलना एवं झुलसना प्राय: शरीर पर अधिक ताप का प्रभाव होते हैं। झुलसना; तरल पदार्थों; जैसे-गरम दूध, पानी, घी, तेल व चाय आदि के त्वचा पर गिर जाने से होता है। जलना; भाप, गरम तवा तथा अन्य प्रकार की शुष्क आग के सम्पर्क में त्वचा के आने पर होता है। जलने एवं अधिक झुलस जाने के गम्भीर परिणाम होते हैं। शरीर के 50 प्रतिशत अथवा अधिक जल जाने पर पीड़ित व्यक्ति पर मृत्यु का संकट हो सकता है। गम्भीर रूप से जलने से शरीर में द्रव पदार्थों की कमी उत्पन्न हो जाती है, शरीर के आन्तरिक अवयव बुरी तरह से कुप्रभावित होते हैं तथा पीड़ित व्यक्ति मानसिक आघात का शिकार हो सकता है।

जलने के प्रकार

जलने के विभिन्न प्रकारों को वर्गीकृत करने के दो आधार हैं
(क) शारीरिक लक्षणों को आधार तथा
(ख) जलने के स्रोतों का आधार।।

() शारीरिक लक्षणों के आधार पर जलने के प्रकार:
जलने पर मुख्यत: निम्नलिखित लक्षण दिखाई पड़ते हैं

  1. त्वचा लाल रंग की हो जाती है, परन्तु नष्ट नहीं होती।
  2. लालिमा के साथ-साथ शरीर पर फफोले भी पड़ जाते हैं।
  3. प्रभावित भाग कम हो अथवा अधिक उसके स्नायु तन्तु नष्ट हो जाते हैं।

() विभिन्न स्रोतों से जलना:
यह निम्न प्रकार से हो सकता है

  1. वस्त्रों में आग लग जाने से जलना।
  2. अम्लों से जलना।
  3. क्षार से जलना।
  4. बिजली से जलना।

जल जाने पर उपचार

जल जाने की विभिन्न अवस्थाओं में विभिन्न प्रकार से प्राथमिक उपचार किए जाते हैं। इनका क्रमशः विवरण निम्नलिखित है

(1) वस्त्र में आग लग जाने पर उपचार:
यह एक सामान्य दुर्घटना है जो कि घरों में प्रायः खाना आदि पकाते समय घटित हुआ करती है। साधारणत: इसके उपचार निम्न प्रकार से करने चाहिए|

  1. रोगी को तुरन्त भूमि पर लिटाकर लुढ़काना चाहिए। रोगी का मुंह खुला छोड़कर उसकी शेष शरीर किसी कम्बल जैसे कपड़े से ढक देना चाहिए।
  2. जलते हुए व्यक्ति पर पानी नहीं डालना चाहिए, क्योंकि इससे घावों के और अधिक गम्भीर होने का भय रहता है।
  3. रोगी के कपड़े व जूते किसी प्रकार से उतार देने चाहिए।
  4. रोगी को पीने के लिए गरम पानी, दूध, चाय अथवा कॉफी देनी चाहिए।
  5. रोगी के बिस्तर पर गरम पानी की बोतलें भी रख देनी चाहिए।
  6. यदि त्वचा पर फफोले पड़ गए हों, तो उन्हें फोड़ना नहीं चाहिए।
  7. एक भाग अलसी का तेल व एक भाग चूने का पानी मिलाकर स्वच्छ रूई अथवा कपड़े के फाये द्वारा जले हुए भाग पर लगाना लाभप्रद रहता है।
  8. जले हुए स्थान पर से सावधानीपूर्वक वस्त्र हटाने का प्रयास करना चाहिए। यदि वस्त्र चिपक गए हैं, तो उस स्थान पर जैतून अथवा नारियल का तेल लगाना चाहिए।
  9. जले हुए स्थान पर हल्के-हल्के बरनॉल या इसी प्रकार का कोई अन्य मरहम लगाना चाहिए।
  10. मरहम उपलब्ध न होने पर नारियल का तेल प्रयोग में लाया जा सकता है।
  11. यदि रोगी होश में है तो उसे सांत्वना एवं धैर्य बँधाना चाहिए।
  12. रोगी को शीघ्रातिशीघ्र अस्पताल ले जाना चाहिए।

(2) अम्लों से जल जाने पर उपचार:
गन्धक, नमक व शोरे के सान्द्र अम्ल मानव त्वचा के लिए अत्यन्त घातक होते हैं। ये जिस स्थान पर गिरते हैं, उसे तत्काल अन्दर तक जला देते हैं। अम्लों से जलने पर निम्नलिखित उपाय तुरन्त करने चाहिए

  1. प्रभावित स्थान पर तुरन्त पानी की धार डालें।
  2. रोगी के वस्त्र उतारते समय पानी डालते रहें।
  3. जले स्थान को स्वच्छ कपड़े से ढक दें।
  4. जले स्थान पर खाने का सोड़ा पानी में घोलकर लगाएँ। इससे अम्ल का प्रभाव घटने लगता है।
  5. अधिक जल जाने पर रोगी को इस प्रकार लिटाएँ कि उसका सिर शरीर के अन्य भागों से कुछ ऊँचा रहे।
  6. यदि रोगी होश में है तो उसे ऐल्कोहॉल रहित पेय पदार्थ पीने के लिए दें।
  7. शीघ्रातिशीघ्र चिकित्सक को बुलाएँ।

(3) क्षार से जलने पर उपचार:
चूना, कास्टिक सोड़ा तथा पोटाश आदि क्षार मानव त्वचा को गम्भीर रूप से जला देते हैं। इस प्रकारे जले रोगियों का उपचार निम्न प्रकार से करना चाहिए

  1. प्रभावित स्थान को पानी के तीव्र प्रवाह से धोना चाहिए।
  2. जले हुए भाग पर नींबू के रस अथवा सिरके में पानी मिलाकर लगाने से क्षार के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  3. जले हुए स्थान पर ऐल्कोहॉल लगाने से रोगी को आराम होता है।
  4. रोगी को मद्यरहित पेय पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पीने के लिए देने चाहिए।
  5. यदि अधिक भाग जला हो, तो तुरन्त चिकित्सक से सम्पर्क स्थापित करना चाहिए।

(4) बिजली से जलने पर उपचार:
बिजली के सम्पर्क में आने पर व्यक्ति को घातक झटका लगता है तथा कभी-कभी वह बिजली से चिपक भी जाता है। इस प्रकार का पीड़ित व्यक्ति सदमे के साथ-साथ जलने का शिकार भी हो जाता है। उपयुक्त उपचार के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए

  1. सर्वप्रथम बिजली का मुख्य स्विच बन्द कर देना चाहिए।
  2. एक लम्बी लकड़ी अथवा लकड़ी के तख्ते का उपयोग कर पीड़ित व्यक्ति को विद्युत तारों से मुक्त करना चाहिए।
  3. जिन स्थानों पर तार से चिपकने के कारण घाव हो गए हों, वहाँ पर बरनॉल या कोई अन्य ऐसा ही मरहम लगाना चाहिए।
  4. घावों को स्वच्छ कपड़े से ढक देना चाहिए।
  5. श्वास रुकने की स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को कृत्रिम श्वास देना चाहिए।
  6. रोगी को पीने के लिए गरम पानी, दूध, चाय अथवा कॉफी देनी चाहिए।
  7. पीड़ित व्यक्ति के लिए दुर्घटना का सदमा घातक हो सकता है; अतः उसे धैर्य बँधाते रहना चाहिए।
  8. तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए।


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