ज्योतिषशास्त्र में भारत के योगदान की जानकारी दीजिए ।
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ग्रहों के फल द्वारा ज्योतिष शास्त्र फलित हुआ है ।
ज्योतिषशास्त्र को ‘तंत्र’, ‘होरा’ और ‘संहिता’ इन तीन भागों में बाँटनेवाले वराहमिहिर महान खगोलशास्त्री तथा ज्योतिषशास्त्री थे ।
वराहमिहिर ने ‘बृहदसंहिता’ नामक ग्रंथ की रचना की थी ।
इस ग्रंथ में मानव के भविष्य पर होनेवाले असर, मनुष्य के लक्षण, प्राणियों के वर्ग, विवाह समय, तालाब, कुओं, बगीचों, खेतों में बुवाई आदि प्रसंगों के शुभमूहों की जानकारी दर्शायी गयी है ।
हमें गर्व होता है कि हमारे पूर्वज ज्योतिष विद्या में कितने निपुण थे ।