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कार्य फलन से आप क्या समझते हैं? देहली आवृत्ति तथा देहली तरंगदैर्ध्य से इसका क्या संबंध है?

Answer» किसी धातु के अंदर से मुक्त इलेक्ट्रॉन को तल तक लाने में खर्च हुई ऊर्जा को उस धातु का कार्यफलन कहते हैं। कार्यफलन ऊर्जा को उस धातु का कार्यफलन कहते हैं। कार्यफलन को अक्षर `phi` से व्यक्त करते हैं, और इसे प्रायः इलेक्ट्रॉन वोल्ट (eV ) में मापते हैं, जो ऊर्जा का ही एक मात्रक है।
धातु तल से इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित कराने के लिए आपतित प्रकाश के अधिकतम तरंगदैर्ध्य `(lambda_(0))` को देहली तरंगदैर्ध्य तथा उसके संगत न्यूनतम आवृत्ति को देहली आवृत्ति `(lambda_(0))` कहते हैं।
कार्य फलन `phi=hv_(0)=(hc)/(lambda_(0))` जहाँ, h प्लांक नियतांक है। आइंस्टीन के प्रकाश विद्युत समीकरण `E_("max")=(1)/(2)mv^(2)=hv-phi_(0)` से स्पष्ट है कि जब आपतित फोटॉन की ऊर्जा `(hv),` कार्य फलन `(phi)` के ठीक बराबर होती है, तो उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गति ऊर्जा शून्य होती है अर्थात धातु तल से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन का वेग शून्य होता है, अर्थात इलेक्ट्रॉन धातु तल से ठीक बाहर ही हो पाता है।


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