1.

कौनसी समाज के किन तबको को क्रांति का फायदाका फायदा मिला​

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खण्ड ‘क’

प्रश्न 1.

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए [2 × 6 = 12]

महात्माओं और विद्वानों का सबसे बड़ा लक्षण है-आवाज को ध्यान से सुनना। यह आवाज कुछ भी हो सकती है। कौओं की कर्कश आवाज से लेकर नदियों की छलछल तक। मार्टिन लूथर किंग के भाषण से लेकर किसी पागल के बड़बड़ाने तक। अमूमन ऐसा होता नहीं। सच यह है कि हम सुनना चाहते ही नहीं। बस बोलना चाहते हैं। हमें लगता है कि इससे लोग हमें बेहतर तरीके से समझेंगे। हालांकि ऐसा होता नहीं। हमें पता ही नहीं चलता और अधिक बोलने की कला हमें अनसुना करने की कला में पारंगत कर देती है। एक मनौवैज्ञानिक ने अपने अध्ययन में पाया कि जिन घरों के अभिभावक ज्यादा बोलते हैं, वहाँ बच्चों में सही-गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान कम विकसित हो पाता है, क्योंकि ज्यादा बोलना बातों को विरोधाभासी तरीके से सामने रखता है और सामने वाला बस शब्दों के जाल में फंसकर रह जाता है। बात औपचारिक हो या अनौपचारिक, दोनों स्थितियों में हम दूसरे की न सुन, बस हावी होने की कोशिश करते हैं। खुद ज्यादा बोलने और दूसरों को अनसुना करने से जाहिर होता है कि हम अपने बारे में ज्यादा सोचते हैं और दूसरों के बारे में कम। ज्यादा बोलने वालों के दुश्मनों की भी संख्या ज्यादा होती है। अगर आप नए दुश्मन बनाना चाहते हैं, तो अपने दोस्तों से ज्यादा बोलें और अगर आप नए दोस्त बनाना चाहते हैं, तो दुश्मनों से कम बोलें । अमेरिका के सर्वाधिक चर्चित राष्ट्रपति रूजवेल्ट अपने माली तक के साथ कुछ समय बिताते और इस दौरान उनकी बातें ज्यादा सुनने की कोशिश करते। वह कहते थे कि लोगों को अनसुना करना अपनी लोकप्रियता के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। इसका लाभ यह मिला कि ज्यादातर अमेरिकी नागरिक उनके सुख में सुखी होते, और दुख में दुखी।

(क) अनसुना करने की कला क्यों विकसित होती है?

(ख) अधिक बोलने वाले अभिभावकों का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों?

(ग) अधिक बोलना किन बातों का सूचक है?

(घ) रूजवेल्ट की लोकप्रियता का क्या कारण बताया गया है?

(ङ) तर्कसम्मत टिप्पणी कीजिए-“हम सुनना चाहते ही नहीं।”

(च) अनुच्छेद का मूल भाव तीन-चार वाक्यों में लिखिए।

उत्तर:

(क) आज हम किसी को सुनना ही नहीं चाहते हैं और अपनी ही बोलना चाहते हैं। इसी अधिक बोलने की कला के कारण अनसुना करने की कला विकसित होती है।

(ख) अधिक बोलने वाले अभिभावकों के कारण बच्चों में सही गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान कम विकसित होता है। ज्यादा बोलना बातों को विरोधाभासी तरीके से सामने रखता है और सामने वाला बस शब्दों के जाल में फंसकर रह जाता है।



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