1.

के परचे-पोस्टर, फ़लेट तथा सारे साहित्य की रचना भगतसिंह ही करते थे। ('फॉसी अंक' भगतसिंह की संपादन योग्यता का सबसे बढ़िया नमूनायह है कि एक उत्कृष्ट विचारक के विचारोत्तेजक विचार अब तक उन तक नहीं पहुँचेनके लिए वे 'शहीद' हो गए।षड्यंत्र कांड के समय अदालत में दिए गए उनके विचारोत्तेजक बयान, उनके लिखे पत्रन-जन तक पहुँचने नहीं दिए गए - न तब, न अब।ली बम विस्फोट के समय फेंके गए परचे में उनका महत्त्वपूर्ण वाक्य था- "हम देश कीकी ओर से कदम उठा रहे हैं।"कानों को सुनाने के लिए धमाके की ज़रूरत समझनेवाले भगतसिंह फांसी के फंदे को विचारच समझते और मानते थे।और विचारों के लिए समर्पित भगतसिंह मनुष्य द्वारा मनुष्य के रक्त बहाए जाने के खिलाफ़नके लिखे अनेक पत्र और बहुमूल्य दस्तावेज, जो सही मायने में राष्ट्र की मूल्यवान निधि हैंआनेवाली पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक भी, सही-सही रूप में सामने नहीं आए हैं। अपने जीवनतिम क्षणों में भी भगतसिंह कितने संयत, शिष्ट, शालीन, शांत और संतुलित थे, उसके लिएन दो ही उदाहरण पर्याप्त हैं। फ़ाँसी के ठीक एक दिन पहले 22 मार्च, 1931 को सेंट्रल जेल4 नंबर वार्ड में रहनेवाले कुछ बंदी क्रांतिकारियों ने भगतसिंह के पास एक परची भेजीदार! यदि आप फाँसी से बचना चाहते हैं तो बताएँ। इन घड़ियों में भी शायद कुछ हो सके।"सिंह ने जो उत्तर लिखा, वह संसार के पत्र-साहित्य में एक दुर्लभ दस्तावेज़ है। इतना मनछूने वाला और इतना स्पष्ट तथा प्रखर विचारों का प्रवाह मौत के सामने!थयो!रहने की ख्वाहिश कुदरती तौर पर मुझमें भी होनी चाहिए। मैं इसे छिपाना नहीं चाहतामेरा जिंदा रहना एक शर्त पर है। मैं कैद या पाबंद होकर जिंदा नहीं रहना चाहता।मेराहिंदुस्तानी इनकलाब पसंद पार्टी (भारतीय क्रांति) का निशान (मध्य बिंदु) बन चुका है औरलाब पसंद पार्टी (क्रांतिकारी दल) के आदर्शो, बलिदानों ने मुझे बहुत ऊँचा कर दिया है।ऊँचा कि जिंदा रहने की सूरत में इससे ऊँचा मैं हरगिज़ नहीं हो सकता।दार्थ61शुदा- जब्त कर लिया गया। विचारोत्तेजक - विचारों में उत्तेजना (जोश) में भरने वाला प्रखा औरप्रवाह- गति, बहाव (1) कुदरती - प्राकृतिक (nly इनकलाय - प्रति ।​

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