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‘खुश रहना केवल एक जरूरत नहीं, यह एक नैतिक उत्तरदायित्व भी है’- कैसे ?

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मनुष्य के व्यक्तिगत जीवन का प्रभाव उस तक ही सीमित नहीं रहता। वह दूसरों पर भी पड़ता है। सुख-दुःख की छुत दूसरों को भी लगती है। हम उदास रहेंगे, तो हमें देखकर दूसरे भी उदास होंगे। हम खुश रहेंगे, तो हमें देखकर दूसरे भी खुश होंगे। इस तरह खुश रहना केवल एक जरूरत ही नहीं, यह एक नैतिक उत्तरदायित्व भी है।



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