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Answer» रोगी को स्नान कराना शरीर से पसीने आदि की दुर्गन्ध दूर करने के लिए त्वचा की सफाई करना आवश्यक है। यदि रोगी चलने-फिरने योग्य है, तो उसके स्नानघर जाने से पूर्व निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ⦁ रोगी को स्नान कराने से पूर्व चिकित्सक से परामर्श अवश्य ही कर लेना चाहिए। ⦁ रोगी के वस्त्र, तौलिया, साबुन व तेल इत्यादि स्नानघर में तैयार रखे होने चाहिए। ⦁ स्नानघर का दरवाजा अन्दर की ओर से बन्द नहीं किया जाना चाहिए। ⦁ रोगी को अधिक समय तक स्नान करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ⦁ रोगी के स्नान करते समय परिचारिका को स्नानघर के पास ही रहना चाहिए। ⦁ स्नान कराने से पूर्व ही परिचारिका को रोगी के दाँत व नाखून आदि साफ कर देने चाहिए। ⦁ रोगी यदि स्नानघर में जाने योग्य न हो तो उसे कमरे में ही स्नान करा देना उचित रहता है। ⦁ रोगी में यदि दुर्बलता अधिक है, तो परिचारिका को उसे स्नान कराने में सहायता करनी चाहिए। रोगी को स्पंज कराना कुछ दशाओं में रोगग्रस्त अथवा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को खुले पानी से स्नान कराना उचित नहीं माना जाता। इन दशाओं में व्यक्ति की शारीरिक सफाई के लिए स्नान के विकल्प के रूप में एक अन्य उपाय को अपनाया जाता है। शारीरिक सफाई के इस उपाय को स्पंज कराना कहा जाता है। इसके अतिरिक्त कभी-कभी तीव्र ज्वर की दशा में भी शरीर के तापमान को कम करने के लिए ठण्डे जल से स्पंज कराया जाता है। रोगी को स्पंज कराने का कार्य परिचारिका अथवा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किया जाता है। स्पंज कराने की विधियों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है 1. सामान्य विधि: इसमें आवश्यकतानुसार ठण्डा या गर्म पानी प्रयोग में लाया जाता है। यदि साबुन का प्रयोग करना है, तो उसे रोगी के तौलिए पर ही लगाना होता है। स्पंज कराने के लिए तौलिए को पानी में भिगोकर निचोड़ लिया जाता है तथा इससे धीरे-धीरे रोगी के शरीर की सफाई की जाती है। स्पंज का प्रारम्भ रोगी के चेहरे से किया जाता है। बाद में गर्दन, बाँह, हाथ-पैर आदि को क्रमिक रूप से स्पंज करना चाहिए। इसके बाद रोगी के शरीर पर कोई अच्छा पाउडर छिड़ककर धुले हुए वस्त्र पहना देने चाहिए। स्पंज कराने के बाद रोगी का बिस्तर भली-भाँति साफ कर देना चाहिए। रोगी को पीने के लिए कोई गर्म पेय देना चाहिए। स्पंज कराने के तुर’ बाद रोगी को कोई उपयुक्त कपड़ा ओढ़ाना चाहिए। अन्त में रोगी को आराम करने के लिए अथवा सो जाने के लिए निर्देश करना उपयुक्त रहता है। 2. ठण्डे पानी से स्पंज कराना: यह विधि रोगी के शरीर का तापमान अधिक होने की अवस्था में प्रयोग में लाई जाती है। रोगी के शरीर का ताप कम करने के लिए उसके शरीर को ठण्डे पानी में भीगे तौलिए से कई बार पोंछा जाता है। इस कार्य को करते समय रोगी के नीचे रबर-शीट अथवा मोमजामे का टुकड़ा बिछाया जाता है। रोगी के लगभग सभी कपड़ों को उतारकर उसे कम्बल ओढ़ा दिया जाता है और तौलिए को भली-भाँति निचोड़कर रोगी के शरीर पर फैलाकर ढक देना चाहिए। यह तौलिया थोड़ी देर में गर्म हो जाता है और फिर इसे उसी प्रकार ठण्डे पानी में भिगोकर तथा निचोड़कर यही क्रिया अपनानी चाहिए। यह क्रिया रोगी के शरीर का ताप सामान्य होने तक दोहराई जाती है। अब रोगी के शरीर को स्वच्छ एवं सूखे तौलिए से पोंछकर कम्बल से ढक देते हैं। अब बिस्तर को भली-भाँति साफ एवं व्यवस्थित कर रोगी को आराम करने एवं सोने का निर्देश देना चाहिए।
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