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“क्लाइव को ब्रिटिश साम्राज्य का संस्थापक माना जाता है।” इस कथन के आलोक में क्लाइव की उपलब्धियों का वर्णन कीजिए। |
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Answer» रॉबर्ट क्लाइव कम्पनी में एक सामान्य लिपिक से सेवा प्रारम्भ करके गर्वनर के पद तक पहुँचने में सफल रहा। वह निर्भीक सेनानायक था। ईस्ट इण्डिया कम्पनी जो एक व्यापारिक संस्था मात्र थी, उसे क्लाइव ने राजनीतिक संस्था में परिवर्तित करके ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना का सूत्रपात किया। अंग्रेजों ने उसके कार्यों की बड़ी प्रशंसा की है। लॉर्ड कर्जन ने लिखा है, क्लाइव, अंग्रेज जाति में महान् आत्मा का व्यक्ति था। वह उन व्यक्तियों में से था जो मानव के भाग्य निर्माण के लिए इस विश्व में अवतरित होते हैं।” विंसेंट स्मिथ ने भी लिखा है, “क्लाइव ने जिस योग्यता और दृढ़ता का परिचय भारत में ब्रिटिश राज्य की नींव डालने में दिया, उसके लिए वह ब्रिटिश जनता के मध्य सदैव के लिए याद किया जाएगा।” अपनी योग्यता वह अर्काट के घेरे एवं चाँदा साहब की विजय के दौरान दिखा चुका था। मीरजाफर के साथ षड्यन्त्र रचकर बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को प्लासी के युद्ध में परास्त कर बंगाल में कम्पनी की राजनीतिक प्रभुता स्थापित करने वाला क्लाइव ही था। क्लाइव का मूल्यांकन करते हुए डॉ० ईश्वरी प्रसाद ने लिखा है- “उसने नवाब को नाममात्र का शासक बना दिया, उसे भलाई करने के साधनों तथा शक्ति से वंचित कर दिया और स्वयं उत्तरदायित्व लेने से दूर भागा। उसकी योजनाओं में न कोई नई बात थी और न मौलिकता थी, उसने डूप्ले तथा बुसी का पदानुगमन किया था और उसकी सफलता अनुकूल परिस्थितियों तथा विश्वासघात के कारण थी, न कि उसकी प्रतिभा के कारण।” हालाँकि क्लाइव का यह मूल्यांकन सर्वथा उचित प्रतीत होता है और भारतीयों के दृष्टिकोण से उसके कृत्य अक्षम्य हैं तथापि उसने अपने देश का महान् हित किया। उसके विरोधियों ने भी अन्त में यह बात स्वीकार कर ली कि उसने जो कुछ भी छलकपट, विश्वासघात तथा बेईमानी की, वह अपने राष्ट्र के हित के लिए की सर्वप्रथम दक्षिणी भारत में कर्नाटक के युद्धों में विजय प्राप्त कराने में उसका महत्वपूर्ण हाथ रहा तथा बाद में प्लासी के युद्ध द्वारा उसने बंगाल में जिस क्रान्ति का सम्पादन किया, उससे ब्रिटिश साम्राज्य की भारत में स्थापना सम्भव हो सकी। परन्तु इन सफलताओं का कारण उसका युद्धकौशल न होकर उसकी कूटनीति ही है। चार्ल्स विल्सन ने ठीक ही कहा है- “क्लाइव अपनी योजनाओं में योग्यतापूर्ण संयोजन की भी उपेक्षा करता जान पड़ता है।” बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी मुगल सम्राट से प्राप्त करके उसने कम्पनी का हित किया। प्लासी का युद्ध, जो भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का बीजारोपण करता है, उसी के द्वारा सम्पन्न किया गया। यद्यपि कुछ इतिहासकार उसे ब्रिटिश साम्राज्य का संस्थापक नहीं मानते। इस सम्बन्ध में मार्विन डेविस का कथन है- “जिस प्रकार बाबर नहीं बल्कि अकबर मुगल साम्राज्य की नींव डालने वाला था, उसी प्रकार भारत में अंग्रेजी साम्राज्य स्थापित करना क्लाइव का नहीं बल्कि उसके उत्तराधिकारियों का कार्य था। उसकी प्रतिभा इतनी सीमित थी कि इतने बड़े कार्य को वह कर ही नहीं सकता था। उसमें इतनी संवेदना, कल्पना-शक्ति, ज्ञान, संयम, धैर्य और अध्यवसाय नहीं थे कि वह एक नई और महान् व्यवस्था की स्थापना कर सकता।” यद्यपि इसमें सन्देह नहीं कि क्लाइव के उत्तराधिकारियों और विशेषकर वारेन हेस्टिग्स को भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव सुदृढ़ करने के लिए अथक परिश्रम करना पड़ा किन्तु इससे क्लाइव के कार्य के महत्व को कम नहीं किया जा सकता। |
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